जान जोखिम में डाल काम कर रहे सफाई कर्मचारियों की मांग, ‘कोरोना योद्धाओं’ की तरह उन्हें भी मिले 50 लाख का बीमा

कोरोना संकट में सफाई कर्मचारियों का काम दोगुना हो गया है। चिंता की बात ये है कि सभी सफाई कर्मचारियों को मास्क और दस्ताने तक नहीं मिले हैं। ऐसे में मांग उठ रही है कि सफाई कर्मचारियों को भी कोरोना फाइटर्स माना जाए और 50 लाख की बीमा राशि का अधिकार दिया जाए।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

पूरी दुनिया के लिए विकराल समस्या बन चुके कोरोना वायरस के खिलाफ डॉक्टरों, पुलिसकर्मियों, राशन डिलीवरी से जुड़े लोगों, मीडिया और सफाई कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। भारत में भी जब पूरा देश लॉकडाउन में है, तो जमीन पर इन सभी पेशेवर लोगों को इस संकट से संघर्ष करते देखा जा सकता है। सरकार ने भी इन्हें कोरोना फाइटर्स का नाम दिया है।

इन कोरोना फाइटर्स में से सफाई कर्मचारी आर्थिक रूप से सबसे कमजोर वर्ग से आते हैं। इसे लेकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से इनकी विशेष मदद करने की अपील की है। ताजा हालात को देखते हुए उत्तर प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी ने सवाल उठाया है कि सफाई कर्मचारियों को भी अन्य कोरोना फाइटर्स के बराबर मानते हुए 50 लाख रुपये की बीमा राशि का अधिकार दिया जाना चाहिए।

बता दें कि सरकार ने कोरोना फाइटर्स के लिए 50 लाख रुपये की बीमा धनराशि निर्धारित कर दी है। यह डॉक्टर्स और पुलिसकर्मियों के लिए है। एसआर दारापुरी की मांग है कि इस सूची में सभी कोरोना फाइटर्स को शामिल किया जाना चाहिए। इनमें सफाई कर्मचारी सबसे महत्वपूर्ण हैं। सबसे खास बात यह है कि कोरोना संकट के दौरान सफाई कर्मचारियों का काम दोगुना हो गया है।लोगों के घरों में रहने के कारण कूड़ा ज्यादा निकल रहा है। इससे भी चिंता की बात तो ये है कि सभी सफाई कर्मचारियों को मास्क, सैनेटाइजर और दस्ताने भी नहीं मिले हैं।

उत्तर प्रदेश के मीरापुर कस्बे के सफाई नायक सन्नी के अनुसार यह एक बेहद जरूरी मांग है।सफाई कर्मचारियों ने किसी तरह की कोई ढील अपने काम मे नहीं की है। वो पूरी मेहनत से जुटे हैं।हमें समाज के निचले पायदान पर जरूर समझा जाता है, मगर हमारे होने से ही उनकी गदंगी दूर होती है। हम पूरे साल देश के लिए संघर्ष करते हैं। आज ज्यादा जरूरत है तो और अधिक मेहनत कर रहे हैं। सन्नी बताते हैं कि शुक्रवार को जब वो अपने कर्मचारियों के साथ कुछ गली से गुजरे तो उन पर फूल-माला डालकर स्वागत किया गया। यह सब उन्हें बहुत अच्छा लगा, मगर सरकार को हमारे वेतन का भी ख्याल रखना चाहिए और हमें स्थाई कर देना चाहिए।

बीएड कर चुके सफाई कर्मचारी के तौर पर सेवा प्रदान कर रहे अमित कुमार कहते हैं, “कोरोना की गंभीरता तो सब जान चुके हैं। हमारे पास डॉक्टर्स जैसे संसाधन नहीं हैं, मगर खतरे से तो हम भी जूझ रहे हैं। कुछ राज्य सरकारों ने सफाई कर्मचारियों की तन्ख्वाह 3 महीने के लिए दोगुनी की है।हम उन्हें धन्यवाद देते हैं, मगर हमें कोरोना फाइटर्स के समकक्ष ही सुविधाएं मिलनी चाहिए।हमारे परिजनों की यही मांग है।”

उत्तर प्रदेश में अनुबंध वाले सफाई कर्मचारी भी भूखे पेट कोरोना से लड़ रहे हैं। बीना (55) कहती हैं, “बेटा सिर्फ बातों से पेट नहीं भरता।” यह समस्या किसी एक जगह की नहीं है। देश भर में लाखों सफाई कर्मचारी विभिन्न तरह की समस्या से दो चार हैं। ऐसे में उन पर बरसाए जा रहे फूल अच्छे तो बहुत लगते हैं, मगर उन्हें रोटी और दूसरी पारिवारिक जरूरत इससे भी ज्यादा प्यारी है। बता दें कि अकेले उत्तर प्रदेश में अब तक दवाई छिड़काव से जुड़े 3 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इनकी सहायता के लिए एसआर दारापुरी ने पीएम को पत्र लिखा है।

हालांकि, सबसे बड़ी समस्या यह है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित कई राज्यों में सालों से ये सफाई कर्मचारी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। हद यह है कि कई जगह इन्हें महीनों से वेतन भी नहीं मिला है। यहां पर पलवल की नगरपालिका का जिक्र किया जाना आवश्यक है, जहां न्यूनतम वेतन न मिलने पर सफाई कर्मचारी धरने पर बैठ गए थे। मगर कोरोना के दौरान अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए वो काम पर लौट गए हैं। हरियाणा सरकार के मुताबिक अब इनका वेतन दोगुना कर दिया गया है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सफाई कर्मचारियों को सबसे बड़ा योद्धा बताया है।सफाई कर्मचारियों के लिए स्वच्छता सेनानी शब्द की खोज की गई है। लेकिन वाल्मीकि समाज के नेता मनोज सौदाई का साफ कहना है कि अच्छे शब्दों के साथ उनका अच्छी तरह से ख्याल भी रखा जाना चाहिए, क्योंकि ये सभी स्वच्छता सेनानी निम्न मध्यवर्ग से आते हैं।

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Published: 11 Apr 2020, 6:04 PM