अभिजीत बनर्जी ने किया नागरिकता कानून का विरोध, पूर्व विदेश सचिव बोले- CAA से भारत ने खुद को दुनिया में अलग-थलग कर लिया
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जहां विपक्ष सरकार को घेरने में जुटा है, देश के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने CAA को लेकर सरकार की मुश्किल बढ़ाने वाला बयान दिया है।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जहां विपक्ष सरकार को घेरने में जुटा है, देश के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने CAA को लेकर सरकार की मुश्किल बढ़ाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इससे सत्ता का दुरुपयोग बढ़ेगा। साथ ही कहा कि इस तरह के कानून बनाने से पहले काफी चर्चा होनी चाहिए फिर उसे अमल में लाना चाहिए न कि जल्दी में किसी तरह से संसद में इसे लाकर कानून बनाना चाहिए।
अभिजीत बनर्जी ने धर्म के आधार पर नागरिकता देने का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा की धर्म ही नहीं कई मायनों में ये कानून गलत है। अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का कहना था कि जो लोग बॉर्डर के पास रहते हैं उन्हें ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ेगी। इतना ही नहीं वहां तैनात अफसर इसका फायदा उठाएंगे और नागरिकों से पैसा ऐंठा जाएगा।
इससे पहले नागरिकता कानून का पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने भी विरोध करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला था। मेनन ने शुक्रवार को सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस कदम से भारत ने खुद को दुनिया में अलग-थलग कर लिया है और देश और विदेश में इसके विरुद्ध आवाज उठाने वालों की सूची काफी लंबी है।
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके मेनन ने कहा, ‘इस कदम से भारत ने दुनिया में खुद को अलग-थलग कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इसके आलोचकों की सूची लंबी है। पिछले कुछ महीने में भारत के प्रति नजरिया बदला है। यहां तक कि हमारे मित्र भी हैरान हैं।’
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, ‘हाल के दिनों में हमने जो हासिल किया वह हमारी (भारत की) मौलिक छवि को पाकिस्तान से जोड़ता है, जो एक असहिष्णु देश है।’ उन्होंने कहा कि दुनिया पहले क्या सोचती थी इसके बजाय हमारे लिए वह अधिक मायने रखता है कि अब क्या सोचती है। उन्होंने कहा कि भागीदारी नहीं करना या अकेले जाना कोई विकल्प नहीं है।
सुरक्षा और विदेश मामलों के विशेषज्ञ मेनन ने आगे कहा, ‘लेकिन ऐसा लगता है कि इस तरह के (सीएए जैसे) कदम से हम खुद को दुनिया से काटने और अलग-थलग करने की ठान चुके हैं।’
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