पारस को मोदी कैबिनेट में शामिल करने पर चिराग बीजेपी से नाराज, कहा- चाचा का एलजेपी से लेना-देना नहीं
चिराग ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं। लेकिन, जहां तक एलजेपी का सवाल है, पारस जी हमारे दल के सदस्य नहीं हैं। उन्हें उनके गुट से मंत्री बनाया जाए तो एलजेपी का कोई लेना देना नहीं है।
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सांसद चिराग पासवान को मोदी मंत्रिमंडल में चाचा और सांसद पशुपति पारस को शामिल करने का बीजेपी का फैसला रास नहीं आया है। उन्होंने पारस के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर कड़ा एतराज जताया है। बिहार के जमुई से सांसद चिराग पासवान ने बुधवार को कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी है।
चिराग पासवान ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, "पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही निष्कासित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है।"
चिराग ने आगे यह भी कहा, "प्रधानमंत्री के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं। लेकिन, जहां तक एलजेपी का सवाल है, पारस जी हमारे दल के सदस्य नहीं हैं। पार्टी को तोड़ने जैसे कार्यों को देखते हुए उन्हें मंत्री, उनके गुट से बनाया जाए तो लोजपा का कोई लेना देना नहीं है।"
एक अन्य ट्वीट में चिराग ने लिखा, "लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशुपति पारस जी को नेता सदन मानने के बाद एलजेपी ने लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फैसले पर पुन: विचार याचिका दी थी जो अभी भी विचाराधीन है।" चिराग ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के प्रारम्भिक फैसले जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति पारस को एलजेपी का नेता सदन माना था, के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है।
बता दें कि कुछ दिन पूर्व बिहार के दिवंगत दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी में उस समय आंतरिक विवाद गहरा गया, जब उनके भाई पशुपति पारस ने अन्य चार सांसदों के साथ मिलकर बगावत करते हुए चिराग पासवान को लोकसभा में पार्टी के नेता पद से हटा दिया। बाद में पारस गुट ने चिराग को पार्टी के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया। इसके बाद से पार्टी दो गुटों में बंट गई है।
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