शराबबंदी वाले राज्य में शराब से हो रही मौतों पर भड़के चिराग, बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की

पीड़ित परिजनों से मिलने के बाद चिराग ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि नीतीश जी बताएं कि और कितनी मौत का इंतजार कर रहे हैं। आपके गृह जिले में ही 12 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। यह सब खेल शासन, प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।

फोटोः LJP
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नवजीवन डेस्क

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के सोहसराय थाना क्षेत्र में शराब पीने से हुई लोगों की मौत के बाद अब सियासत तेज हो गई है। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने तो तीन कृषि कानून की तरह शराबबंदी कानून को वापस लेने तक की मांग कर डाली है। इस बीच, सोमवार को प्रभावित गांव पहुंचे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने तक की मांग कर दी।

लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान सोहसराय में शराब से हुई मौतों के मामले में सोमवार को मृतकों के परिजनों को सांत्वना देने छोटी पहाड़ी गांव पहुंचे। पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्होंने गहरी संवेदना जताई। पासवान मृतकों के घर गए और उनके परिजनों से मिलकर शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना दी।

पीड़ित परिजनों से मिलने के बाद चिराग पासवान ने बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि नीतीश जी बताएं कि और कितनी मौतों का इंतजार कर रहे हैं। आपके गृह जिले में ही 12 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। उन्होंने कहा कि यह सब खेल शासन, प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।


चिराग ने कहा कि शराब तस्कारों को शासन, प्रशासन का संरक्षण मिल रहा है। बिहार में शराबबंदी के अलावा और किसी बात की चर्चा नहीं होती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री से कानून-व्यवस्था नहीं संभल रही है। अब राज्यपाल से मिलकर कहा जाएगा कि बिहार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, समय आ गया है कि अब राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए।

शराबबंदी के समर्थन करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि शराबबंदी का हम भी समर्थन करते हैं, लेकिन शराब कहीं बंद नहीं है। जहरीली शराब पीने से मौत हो रही है। इधर, हम के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री तीन कृषि कानूनों को वापस ले सकते हैं, तो शराबबंदी कानून पर समीक्षा नहीं करना कहां तक उचित है। उन्होंने कहा कि शराब बंद करना सिर्फ कहा जा सकता है, व्यवहारिक तौर पर इसे लागू नहीं किया जा सकता।

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