चंडी प्रसाद भट्ट को मिला ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने किया सम्मानित
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने चंडी प्रसाद भट्ट को पुरस्कार स्वरूप 10 लाख रुपये नगद और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मान से सम्मानित चंडी प्रसाद भट्ट एक गांधीवादी चिंतक के तौर पर जाने जाते हैं।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद और समाजसेवी चंडी प्रसाद भट्ट को गुरुवार को राष्ट्रीय एकता एवं सद्भाव के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर गुरुवार को दिल्ली के जवाहर भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चंडी प्रसाद भट्ट को 31वां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् को यह पुरस्कार साल 2017 और 2018 के लिए दिया गया। इस अवसर पर कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
‘चिपको आंदोलन’ से जुड़े रहे गांधीवादी भट्ट को पुरस्कार स्वरूप 10 लाख रुपये नकद और प्रशस्ति पत्र दिया गया। पद्म भूषण, रैमन मैग्सेसे अवार्ड, गांधी शांति पुरुस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मान से सम्मानित चंडी प्रसाद भट्ट एक गांधीवादी चिंतक के तौर पर जाने जाते हैं। उन्होंने 1964 में गोपेश्वर में 'दशोली ग्राम स्वराज्य संघ' की स्थापना की थी, जो कालान्तर में चिपको आंदोलन की मातृ-संस्था बनी। इसके लिए उन्हें साल 1982 रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इससे पहले सोनिया गांधी की अध्यक्षता में 10 अक्टूबर को पुरस्कार की सलाहकार समिति की हुई बैठक में उनके नाम का चयन किया गया था। इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। पुरस्कार के लिए अपने नाम कै ऐलान होने पर चंडी प्रसाद भट्ट ने चयन समिति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पुरस्कार जिम्मेदारी को और बढ़ा देते हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि देश में विचारों का प्रवाह सदियों से बना रहा है। सदियों से राष्ट्रीय धारा का जो सदगुण इस देश में रहा है, वह बना रहना चाहिए।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बलिदान दिवस- 31 अक्टूबर को प्रदान किए जाना वाला यह पुरस्कार देश की एकता एवं अखंडता के लिए योगदान देने वाली हस्तियों और संस्थाओं को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है। कांग्रेस पार्टी ने साल 1985 में अपने शताब्दी वर्ष में इस पुरस्कार की शुरूआत की थी। इससे पहले यह पुरस्कार स्वामी रंगनाथ नंदा, अरुणा आसफ अली, एसएम सुब्बालक्ष्मी, राजीव गांधी (मरणोपरांत), एपीजे अब्दुल कलाम, प्रो सतीश धवन, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, महाश्वेता देवी, मोहन धारिया और एआर रहमान जैसी शख्सियतों को प्रदान किया जा चुका है।
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