हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में हंगामे के आसार, मंदिरों को संरक्षण में लेने का बिल ला रही खट्टर सरकार
खट्टर सरकार के 20 प्रतिशत से कम हिंदू आबादी वाले गांवों के मंदिरों को संरक्षण में लेने वाले बिल से विपक्ष को सरकार के विघटनकारी एजेंडे की बू आ रही है। तीन राज्यों में बीजेपी की जीत के बाद इस बिल के जरिये खट्टर सरकार इसी एजेंडे पर यहां भी बढ़ना चाह रही है।
हरियाणा विधानसभा का 15 दिसंबर से आरंभ हो रहा शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने के पूरे आसार हैं। बेरोजगारी से लेकर कानून व्यवस्था तक मुद्दों पर विपक्ष ने बीजेपी-जेजेपी सरकार को घेरने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है। 20 प्रतिशत से कम हिंदू आबादी वाले गांवों को मंदिरों को सरकार के संरक्षण में लेने के लिए विधानसभा में लाया जा रहा बिल गतिरोध का सबब बन सकता है। ऐसे गांव हरियाणा के एकमात्र मुस्लिम बहुल जिले नूंह में ही हैं। विपक्ष को इस बिल से सरकार के विघटनकारी एजेंडे की बू आ रही है। तीन राज्यों में बीजेपी की जीत के बाद इस बिल के जरिये मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार अपने एजेंडे पर हरियाणा में भी आगे बढ़ना चाह रही है।
15 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलने वाले विधानसभा सत्र से ठीक पहले गुरुवार को चंडीगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर कांग्रेस विधायक दल की बैठक ली। बैठक में सदन के भीतर उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा हुई। हुड्डा ने बताया कि विधायकों ने यमुनानगर-अंबाला में जहरीली शराब से हुई मौतों, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, जींद-कैथल में बच्चों के यौन शोषण, खनन घोटाले,अस्पतालों में डॉक्टर और स्टाफ की कमी, घोटालों, किसानों के पेंडिंग मुआवजे, शिक्षा के गिरते स्तर, पंचायती जमीन, बढ़ते प्रदूषण, गुरुग्राम में प्रदूषित सिंचाई जल सप्लाई और खेल नीति से खिलवाड़ जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए स्थगन और ध्यानाकर्षक प्रस्ताव दिए हैं।
हुड्डा ने बताया कि इसके अलावा भर्तियों के पेपर लीक, सीईटी, वेटरनरी सर्जन भर्ती घोटाला, लटकी पड़ी भर्तियों को पूरा करने, कौशल रोजगार निगम की कच्ची भर्तियों में धांधली, आरक्षण की अनदेखी, फसलों का मुआवजा, धान और अन्य फसलों की एमएसपी पर खरीद न होना, खाद और बीज की कमी, बेरोजगारी के चलते युवाओं के पलायन, पंचायती राज संस्थाओं के अधिकारों के हनन, गरीब लोगों के बीपीएल कार्ड काटने, स्वास्थ्य मंत्री द्वारा अपने विभाग का काम छोड़ने समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रस्ताव दिए गए हैं।
वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विभिन्न वर्गों और संस्थाओं के प्रतिनिधिमंडलों ने भी अपनी मांगों का लेकर ज्ञापन सौंपे हैं। हुड्डा ने बताया कि टीजीटी भर्ती के फाइनल रिजल्ट के संबंध में, सब्जी मंडी के कलक्टर रेट से संबंधित, किसानों की समस्याओँ के बारे में, पुरानी पेंशन बहाली, कौशल रोजगार निगम की कच्ची भर्तियों में धांधली, आरक्षण की अनदेखी, फसलों के मुआवजे, धान व अन्य फसलों की एमएसपी पर खरीद ना होने, पंचायती राज संस्थाओं के अधिकारों के हनन, गरीब लोगों के बीपीएल कार्ड काटने के बारे में ज्ञापन प्राप्त हुए हैं। जिनकी आवाज कांग्रेस पार्टी के विधायक सदन में उठाएंगे।
हुड्डा ने कहा कि विपक्ष पूरी जिम्मेदारी और जोर-शोर के साथ जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में उठाएगा। बीजेपी-जेजेपी को जनता के सवालों से भागने नहीं दिया जाएगा। हालांकि, सरकार ने सवालों से बचने के लिए जानबूझकर सिर्फ तीन दिन का विधानसभा सत्र बुलाया है। कांग्रेस ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग भी की है।
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