जम्मू-कश्मीर: सुरक्षा कारणों से इस बार सीमा पर नहीं लगेगा चमलियाल मेला, 70 वर्षो से चली आ रही परंपरा टूटी

जम्मू कश्मीर के सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में हर साल लगने वाला चमलियाल मेला इस साल नहीं लगेगा। बीएसएफ अधिकारियों ने कहा कि जब पाकिस्तान ने रामगढ़ सेक्टर में हमारे चार बहादुरों को मार डाला, ऐसे में हम उर्स कैसे आयोजित कर सकते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया 
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आईएएनएस

जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रामगढ़ सेक्टर में होने वाले वार्षिक बाबा चमलियाल मेला इस वर्ष सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिया गया है। इसका आयोजन वर्ष 1947 के बाद पहली बार रद्द किया जा रहा है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बीएसएफ अधिकारियों ने कहा, “हम उर्स कैसे आयोजित कर सकते हैं जब पाकिस्तान ने रामगढ़ सेक्टर में हमारे चार बहादुरों को मार डाला है।”

सूफी संत बाबा चमलियाल का उर्स प्रत्येक वर्ष जून के अंतिम सप्ताह में आयोजित होता है, और दरगाह की एक झलक पाने के लिए सीमा के दोनों तरफ के श्रद्धालुओं का तांता लगता है।

पाकिस्तानी रेंजरों ने 13 जून को रामगढ़ सेक्टर में अचानक गोलीबारी कर दी थी, जिसमें एक असिस्टेंट कमांडेंट सहित बीएसएफ के 4 जवान शहीद हो गए थे। शहीद जवानों की पहचान असिस्टेंट कमांडेंट जितेंद्र सिंह, उपनिरीक्षक रजनीश कुमार, सहायक उपनिरीक्षक राम निवास और कांस्टेबल हंसराज गुर्जर के रूप में हुई थी। आमतौर पर बाबा चमलियाल की दरगाह पर होने वाले वार्षिक उत्सव की सारी व्यवस्था बीएसएफ करती है। पाकिस्तानी सैनिकों सहित हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। पाकिस्तानी सैनिक यहां पवित्र चादर चढ़ाते हैं।

बीएसएफ पाकिस्तानी सैनिकों का स्वागत शरबत से करता है और यहां आने वाले दरगाह से कुछ मिट्टी अपने साथ ले जाते हैं। कहा जाता है कि इसमें कई रोगों को ठीक करने की शक्तियां हैं।

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