वाराणसी से पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती, पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश के वारणसी से 2019 के लोकसभा चुनाव में ताल ठोकने की कोशिश कर चुके पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पीएम नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को चुनौती दी है। हालांकि इससे पहले उनकी याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम मोदी के निर्वाचन को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। यह याचिका 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से चुनाव लड़ने की कोशिश कर चुके पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने दाखिल की है। बीएसएफ से बर्खास्त कर दिए गए तेज बहादुर यादव वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी थे, लेकिन आखिरी समय पर हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन अधिकारी ने उनका नामांकन रद्द कर दिया था।

नामांकन रद्द किये जाने को तेज बहादुर यादव ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन दिसंबर महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तेज बहादुर की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वे न तो वाराणसी के मतदाता हैं और न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उम्मीदवार थे। इसलिए उनका निर्वाचन को लेकर याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं बनता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के इसी फैसले को अब तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।


यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी से तेज बाहुदर ने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया था, लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी ने अपनी घोषित प्रत्याशी शालिनी यादव का टिकट काटकर उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया था। लेकिन बाद में हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए चुनाव अधिकारी ने तेज बहादुर का नामांकन ही रद्द कर दिया था।

नामांकन रद्द किए जाने का विरोध जताते हुए तेज बहादुर ने याचिका में आरोप लगाया था कि वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी ने गलत तरीके से उनका नामांकन रद्द किया, जिसकी वजह से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ पाए, जो कि उनका संवैधानिक अधिकार है। हालांकि उनकी इस दलील को इलाहाबाद हाईकोर्ट यह कहते हुए खारिज कर चुका है कि पिछले चुनाव में वाराणसी से मतदाता या प्रत्याशी नहीं होने के कारण तेज बहादुर यादव को निर्वाचन को चुनौती देने का अधिकार नहीं है।

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