किसानों का चक्का-जाम! हरियाणा में 3 घंटे थमे रहे वाहनों के पहिये, अन्नदाता बोले- कानून वापसी तक नहीं रुकेगा आंदोलन
पंचकूला-शिमला हाईवे पर स्थिति टोल पर जाम लगाए किसानों के हाथों में थामी तख्तियों में लिखे नारे उनके आक्रोश की तस्दीक कर रहे थे। इस दौरान न धर्म का न साइंस का, मोदी है रिलायंस का, गो बैक अंबानी-अडानी, नो फार्मर, नो फूड, आई स्टैंड विद फार्मर और जय जवान, जय किसान जैसे नारे लगाए गए।
कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों की ओर से किए गए 12 से 3 बजे तक तीन घंटे के चक्का जाम में वाहनों की रफ्तार थम गई। इस दौरान किसानों ने न सिर्फ बुलंद हौंसले जाहिर किए बल्कि संकल्प भी जताया कि तीनों कानून वापस होने तक यह आंदोलन रुकने वाला नहीं है। चक्का जाम की खास बात यह रही कि इसमें महिलाओं की भी भारी तादाद में भागीदारी रही। इस दौरान सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश दिखा। राज्य भर में हाईवे पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा और चंडीगढ़ को देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ने वाले अंबाला-दिल्ली हाईवे पर बड़ी संख्या में वाहन फंसे रहे।
दो महीने से ज्यादा वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के प्रति सरकार के रवैये को लेकर चक्का जाम कर रहे लोगों में भारी गुस्सा दिखा। पंचकूला-शिमला हाईवे पर स्थिति टोल पर जाम लगाए किसानों के हाथों में थामी तख्तियों में लिखे नारे उनके आक्रोश की तस्दीक कर रहे थे। न धर्म का न साइंस का, मोदी है रिलायंस का, गो बैक अंबानी-अडानी, नो फार्मर, नो फूड, आई स्टैंड विद फार्मर और जय जवान, जय किसान जैसे नारे न सिर्फ सरकार के प्रति उनके गुस्से का इजहार कर रहे थे बल्कि बड़े कारपोरेट घरानों के खिलाफ भी नाराजगी व्यक्त कर रहे थे।
जाम में शामिल पिंजौर निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग राजिंदर कौर का संकल्प और जज्बा तो कमाल का था। वाहन चालकों को रोकने के साथ वह उनसे असुविधा के लिए दोनों हाथ जोड़कर माफी भी मांग रही थीं। महज दो बीघे जमीन की मालकिन राजिंदर कौर ने बताया कि वह अपने दो बच्चों जसविंदर और राजकुमार को सिंघू बार्डर में खो चुकी हैं, लेकिन उनका हौंसला नहीं डिगा है। उन्होंने कहा कि मैंने मान लिया है कि ये दोनों बच्चे शहीद हो गए हैं। वह खुद सिंघू बार्डर गई थीं और फिर जाएंगी, लेकिन इस बार तीनों कानून वापस होने से पहले वापस नहीं आएंगी।
राजिंदर कौर ने कहा कि हमने मोदी को गद्दी पर बैठाया था और मोदी ने देश के लिए गलत काम किया। यदि वह काले कानून वापस ले लेते तो हम मोदी पर फूलों की वर्षा करते। लाल किले की घटना को उन्होंने साजिश करार दिया। हिमाचल और हरियाणा, दोनों राज्यों में जमीन के मालिक सकेतड़ी निवासी दीप कुमार का कहना था कि सरकार को कानून वापस लेने ही होंगे। मानकपुर गांव के रमन और हरप्रीत का कहना था कि किसानों का आंदोलन यूं ही व्यर्थ नहीं जाएगा। करीब 5 बीघा जमीन के मालिक सूरजपुर गांव से आए कन्नू ने भी तकरीबन यही बातें दोहराईं। चक्का जाम में शामिल करीब-करीब हर व्यक्ति दिल्ली की सीमाओं पर लगे किसानों के मोर्चे पर एक बार जरूर गया था। 26 जनवरी को हुए घटनाक्रम से किसानों ने सबक लेते हुए शांति बनाए रखने के लिए वालंटियर तैनात कर रखे थे। बीच-बीच में प्रदर्शनकारी किसानों से संयम बनाए रखने के लिए अपील भी की जा रही थी।
किसानों ने इस बात का भी ख्याल रखा कि कहीं कोई एंबुलेंस जाम में न फंस जाए। एंबुलेंस के आते ही उसे रास्ता दिया गया। चक्का जाम का हरियाणा में इतना जबरदस्त असर रहा कि तीन घंटे वाहन बिल्कुल नहीं चल पाए। भिवानी के कितलाना टोल, धनाना, मुंढाल, प्रेमनगर, जुई, खरकड़ी, बहल, बामला, बारवास, तोशाम और बवानीखेड़ा समेत तकरीबन दो दर्जन जगहों पर चक्का जाम किया गया। जींद जिले में खटकड़ कलां और बद्दोवला टोल, जींद-चंडीगढ़ मार्ग, जींद-रोहतक, जींद-गोहाना रोड समेत मुख्य मार्गों पर किसानों ने जाम लगाया। हिसार में एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले रास्तों को भी जाम किया गया। कैथल जिले में कलायत नेशनल हाइवे, गुहला चीका में कैथल रोड, ढांड में पंचमुखी चौक और पूंडरी में करनाल रोड पर जाम देखने को मिला। करनाल में बसताड़ा टोल प्लाजा, निसिंग रोड पर गुरुद्वारे के सामने, असंध में अनाज मंडी के सामने, इंद्री में गढ़ी बीरबल रोड, भादसों चौक के पास कुरुक्षेत्र रोड, जींद हाईवे पर प्योंत टोल प्लाजा व मेरठ रोड पर नगला मेघा चौक में जाम रहा।
यमुनानगर में दामला स्टेट हाइवे पुल के नीचे, साढौरा में दोसड़का चौक पर, बिलासपुर में शिव चौक पर, छछरौली में तिकोने चौक पर व गढ़ी बीरबल रोड पर गुमथला गांव में जाम लगाया गया। सिरसा, फतेहाबाद, रेवाड़ी, पलवल, चरखीदादरी आदि में भी प्रमुख मार्गों पर किसानों ने जाम लगाया। किसानों के इस चक्का जाम को समूचे विपक्ष ने भी समर्थन दे रखा था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा,किरण चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रदेश अध्यक्ष कु. सैलजा आदि सभी नेता चक्का जाम के साथ थे। इनेलो के अभय सिंह चौटाला ने भी किसानों के चक्का जाम का समर्थन किया है। किसानों के चक्का जाम में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने भारी तादाद में सुरक्षा बल तैनात कर रखे थे। पूरे हरियाणा में तीन दर्जन से ज्यादा पैरा मिलिट्री फोर्स की बटालियन तैनात की गई थीं।
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