हाथरस केस के बाद जागा केंद्र, महिला अपराध में सख्त एक्शन का राज्यों को निर्देश, टालमटोल पर पुलिस वाले नपेंगे

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की की गैंगरेप और यातनाएं देने के कारण मौत के कई दिनों बाद गृह मंत्रालय ने नई एडवाइजरी जारी की है। कई राज्यों में भी इसी तरह के अपराध दर्ज हुए हैं, जिसके बाद व्यापक विरोध और आक्रोश के कारण केंद्र नई एडवाइजरी जारी किया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

उत्तर प्रदेश के हाथरस समेत देश भर में महिलाओं के खिलाफ हाल में बढ़ते जघन्य अपराधों पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। साथ ही इस तरह के मामलों में एफआईआर अनिवार्य रूप से दर्ज करने के साथ पुलिस कार्रवाई भी अनिवार्य कर दी गई है। मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को जारी दिशानिर्देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में अनिवार्य दिशानिर्देशों के अनुपालन में लापरवाही पर पुलिस से पूछताछ की जाए और लापरवाही के लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ तुरंत आवश्यक कार्रवाई की जाए।

केंद्र की एडवाइजरी में कहा गया है, "यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कानून में प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधितों को निर्देश जारी कर सकते हैं।" राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग प्रणाली (आईटीएसएसओ) पर मामलों की निगरानी करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून में आवश्यकतानुसार समयबद्ध तरीके से आरोप पत्र पर उचित कार्रवाई हो।

बीते दिनों उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ गैंगरेप और फिर यातनाएं दिए जाने के कारण मौत होने के कई दिनों बाद गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को यह एडवाइजरी जारी की। झारखंड और राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों में भी इसी तरह के अपराध दर्ज किए गए थे, जिसके बाद व्यापक विरोध और राजनीतिक आक्रोश के कारण, मंत्रालय ने नई एडवाइजरी जारी करने का कदम उठाया है।

इस एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने 16 मई, 2019 की एडवाइजरी को संदर्भित किया है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए के तहत सीआरपीसी की धारा 154 की उप-धारा (1) के तहत सूचना रिकॉर्ड करने में विफलता के बारे में है। एमएचए ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में पुलिस द्वारा समय पर और सक्रिय कार्रवाई के बारे में 5 दिसंबर, 2019 को अपनी एक अन्य एडवाइजरी का भी संदर्भ लिया है।

इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने पुलिस रिसर्च और विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) द्वारा जारी महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म की जांच और मुकदमा चलाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का भी उल्लेख किया है और 'बीपीआर एंड डी' द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह के वितरण के बारे में बिंदुओं को जोड़ा है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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Published: 10 Oct 2020, 4:06 PM