कारवां गुजर गया... नहीं रहे मशहूर गीतकार गोपालदास ‘नीरज’
हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार और कवि गोपाल दास नीरज का गुरुवार की देर शाम को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। मंगलवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें एम्स लाया गया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
प्रसिद्ध कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज का गुरुवार की शाम को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। 94 साल के गोपालदास नीरज लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दो दिन पहले ही उन्हें सांस में तकलीफ की शिकायत के बाद आगरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां तबीयत और बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स लाया गया था, जहां आज उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवली गांव में 4 जनवरी, 1925 को जन्मे गोपाल दास नीरज समान रूप से हिंदी साहित्य जगत, बॉलीवुड फिल्मों और कवि सम्मेलनों और मुशायरों के मंचों के नामवर कवियों में शुमार थे। उन्होंने हिंदी कविताओं और गीतों के अलावा बेशुमार गजलें भी लिखीं। नीरज ने हिंदी फिल्म जगत को भी कई सुपरहिट गाने दिए, जो आज भी लोगों की जबानों पर हैं। उन्हें उनकी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। यही नहीं हिंदी फिल्मों को शानदार गीत देने के लिए नीरज को तीन बार 1970, 1971, 1972 में फिल्म फेयर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी राज्य का प्रतिष्ठित यश भारती सम्मान देकर उनकी दमदार लेखनी को सम्मानित किया था।
गोपालदास नीरज के लिखे प्रसिद्ध फिल्मी गीतों में लिखे जो खत तुझे, , ए भाई जरा देखकर चलो, शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, दिल आज शायर है, खिलते हैं गुल यहां, और आदमी हूं, आदमी से प्यार करता हूं शामिल हैं।
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