पेपर लीक रोकने के सीबीएसई के उपायों से उड़ी स्कूलों की नींद, परीक्षा केंद्र प्रशासकों के हाथ-पांव फूले

पेपर लीक का विवाद सामने आने के बाद सोमवार को सीबीएसई का पहला पेपर होगा। इसे लेकर सीबीएसई ने जो व्यवस्था की है, उससे परीक्षा केंद्र प्रशासन की नींद उड़ी हुई है और स्कूलों के हाथ पांव फूल गए हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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पेपर लीक की अफरा-तफरी के बीच कल यानी सोमवार 2 अप्रैल को सीबीएसई का पहला पेपर हो रहा है। इस पेपर को लेकर कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए सीबीएसई ने एक नई रणनीति बनाई है। आम तौर पर पेपर का दिन छात्रों के लिए बहुत तनाव भरा होता है, लेकिन इस बार तनाव सीबीएसई, स्कूल प्रशासन और परीक्षा केंद्रों पर ज्यादा है।

सूत्रों के मुताबिक इस परीक्षा में किसी स्तर पर कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए सीबीएसई ने एक नई रणनीति बनाई है। सूत्रों का कहना है कि सोमवार को होने वाले पेपर की कोई हार्ड कॉपी परीक्षा केंद्रों को नहीं दी जाएगी, बल्कि परीक्षा से ठीक पहले केंद्रों को इसे एक विशेष यूआरएल से डाउनलोड कर और सेट बनाकर छात्रों को बांटना होगा।

लेकिन, सीबीएसई के इस नए मंत्र को लेकर परीक्षा केंद्र कुछ असमंजस में हैं, क्योंकि उन्हें आखिरी क्षणों में ऐसी व्यवस्था करनी पड़ रही है। इसके लिए स्कूलों और परीक्षा केंद्रों को एक अलग कमरा चाहिए, जहां प्रिंटर, कम्प्यूटर, डोंगल और प्रश्नपत्र छापने के लिए पर्याप्त मात्रा में कागज की व्यवस्था करनी होगी। सूत्रों के मुताबिक सीबीएसई ने स्कूलों और परीक्षा केंद्रों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि परीक्षा केंद्र में किसी को भी मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत नहीं होगी। सिर्फ परीक्षा केंद्र के सुप्रिंटेंडेंट ही मोबाइल ले जा सकते हैं। जिस कमरे में कम्प्यूटर और प्रिंटर रखा जाएगा, उसमें सीसीटीवी कैमरा होना अनिवार्य है। परीक्षा से ठीक पहले सुप्रिंटेंडेंट को सीबीएसई से फोन आएगा और उसके बाद ही वह प्रश्नपत्र डाउनलोड कर पाएंगे। इसके बाद ही प्रश्नपत्रों की छपाई शुरु होगी। बाद में प्रश्नपत्रों का सेट बनाकर छात्रों में वितरित किया जाएगा।

सोमवार को सिर्फ लैंग्वेजेज़ का पेपर है। बारहवीं कक्षा का हिंदी, कश्मीरी और गुजराती भाषा का पेपर है, जबकि 10वीं कक्षा का फ्रेंच, संस्कृत और उर्दू का पेपर है। पिछले दो दिनों यानी शनिवार और रविवार को सभी स्कूल और परीक्षा केंद्र इन्हीं व्यवोंस्थाओं को करने में लगे रहे।

जानकारी मिली है कि कुछ स्कूलों में तो कम्प्यूटर काम ही नहीं कर रहे थे। और सबसे ज्यादा दिक्कत तो सीसीटीवी कैमरे को लेकर थी। सभी स्कूलों ने बड़ा तादाद में ए-4 आकार के पेपर मंगाए हैं। साथ ही स्कूलों में जेनरेटर आदि की भी जांच की जा रही है, ताकि बिजली जाने की स्थिति में कोई व्यवधान न पड़े।

सारी व्यवस्थाएं करने के बाद भी स्कूल प्रशासन की सांस अटकी हुई है कि सबकुछ ठीकठाक गुजर जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि आधे से ज्यादा परीक्षा होने के बाद व्यवस्थाओं में बदलाव करना सही कदम नहीं है और इसके विपरीत नतीजे हो सकते हैं। उनका कहना है कि इससे पता चलता है कि सीबीएसई पेपर लीक को रोकने में अक्षम है और ऐसी व्यवस्थाएं उसकी नाकाबिलियत पर मुहर लगाती हैं। उनका सवाल है कि अगर किसी परीक्षा केंद्र पर सबकुछ ठीक नहीं रहा और छात्रों पर इसका असर पड़ा तो कौन जिम्मेदार होगा। उनके मुताबिक फिर नए सिरे से स्कूलों और सीबीएसई के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु होगा। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरीके से पेपर के हैक होने का खतरा भी बढ़ गया है, साथ ही सर्वर के स्लो होने की आशंका भी है।

अभी यह तय नहीं है कि यह फार्मूला सिर्फ दिल्ली और आसपास के इलाके में अपनाया जा रहा है या फिर पूरे देश में इस पर अमल होगा। सीबीएसई ने इसी क्रम में पिछले दिनों एक ट्रायल रन किया था।

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