CAIT की सरकार से मांग, कहा- महामारी से बचने के लिए अगर लगा लॉकडाउन तो व्यापारियों को मिले उचित मुआवजा
कैट ने कहा, "सरकार के आदेश पर किए गए लॉकडाउन के कारण बंद हुई दुकानों को सरकार से मुआवजा लेने का हक बनता है।" कैट ने मुआवजे देने के फॉमूर्ले को बताते हुए कहा, "जिस दुकान की जो वार्षिक टर्न ओवर है उसके अनुपात में सरकार को ऐसे व्यापारियों को मुआवजा देना चाहिए।"
देश भर में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगने लगे हैं, जिसके बाद से राज्यों में नाइट कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाने की स्थिति बन चुकी है। ऐसे में कन्फेडरेशनऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियोंको एक पत्र भेज मांग की है कि इस महामारी से बचाव में यदि कोई राज्य लॉकडाउन की घोषणा करता है, जिससे दुकानें बंद हो, तो सरकार को उन सभी व्यापारियों को उचित मुआवजा देना चाहिए।
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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, "सरकार के आदेश पर किए गए लॉकडाउन के कारण बंद हुई दुकानों को सरकार से मुआवजा लेने का हक बनता है।" कैट ने मुआवजे देने के फॉमूर्ले को बताते हुए कहा, "जिस दुकान की जो वार्षिक टर्न ओवर है उसके अनुपात में सरकार को ऐसे व्यापारियों को मुआवजा देना चाहिए।"
कैट के अनुसार, देश में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जो प्रति माह लगभग 6 .5 लाख करोड़ का होता है। अकेले महाराष्ट्र का मासिक कारोबार लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तथा दिल्ली का मासिक कारोबार लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का होता है।
खंडेलवाल ने आगे कहा, "पिछले वर्ष के लॉकडाउन में व्यापारियों ने न केवल अपनी दुकानें ही बंद कीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर करोना के भीषण समय में भी अपनी जान की परवाह न करते हुए पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को निर्बाध रूप से जारी रखा, जिसके कारण देशभर के व्यापारियों को अपने व्यापार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है, जिसकी भरपाई आज तक नहीं हुई है।"
कैट ने कहा, "जहां केंद्र सरकार ने गत वर्ष विभिन्न वर्गों के लिए अनेक पैकेज दिए, वहीं देश के व्यापारियों को किसी भी पैकेज में एक रुपये की भी सहायता नहीं दी गई एवं न ही किसी राज्य सरकार ने व्यापारियों की ओर मदद का हाथ बढ़ाया, जिसके फलस्वरूप व्यापारी वर्ग आज तक वित्तीय तरलता के बड़े संकट का सामना कर रहा है।"
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