यूपी के इस इलाके में 1 रुपये किलो बिक रहा गोभी! गुस्साए किसान ने खड़ी फसल को रौंदा, कीमत नहीं मिलने से निराश
शामली की डीएम जसजीत कौर ने कहा कि एक मामला हमारे संज्ञान में आया है, जहां मायापुरी गांव में एक किसान ने अपनी फूलगोभी की फसल को नष्ट कर दिया। बागवानी अधिकारियों और एसडीएम को निर्देश दिया गया है कि वह उनसे जाकर मिलें
उत्तर प्रदेश के कैराना के एक गांव में गोभी की फसल के बेहद कम दाम मिलने से निराश होकर किसान ने अपनी फसल को ट्रैक्टर से रौंद दिया है। यह किसान कैराना तहसील के मायापुर गांव का रहना वाला है। किसान रमेश ने 5 बीघे के खेत मे यह गोभी लगाई थी। इसके अलावा कई किसानों ने फसल को रौंदने की बजाय गोभी को किसान आंदोलन में भेजने का विकल्प चुना है ताकि वहां इसका प्रयोग खाने में किया जाए। किसान रमेश का कहना है उसे भी ऐसा ही करना चाहिए था लेकिन वो क्रोध में था।
बता दें कि इस समय गोभी बेहद सस्ती बिक रही है। मंडी में इसकी कीमत 1 या 2 रुपये है जबकि बाज़ार में यह 10 रुपये प्रति किलो बिक रही है। अभी 3 महीने पहले गोभी की बाजार में कीमत 40 रुपये किलो थी। अपनी फसल को ट्रैक्टर से रौंदने वाले किसान रमेश ने नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली में लगातार 20 दिन से चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया है।
किसान ने कहा कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून किसानों के लिए नुकसानदायक हैं। इस मामले (फसल नष्ट) को लेकर प्रशासन भी हरकत में आया है। शामली की डीएम जसजीत कौर ने कहा कि एक मामला हमारे संज्ञान में आया है, जहां मायापुरी गांव में एक किसान ने अपनी फूलगोभी की फसल को नष्ट कर दिया। बागवानी अधिकारियों और एसडीएम को निर्देश दिया गया है कि वह उनसे जाकर मिलें। उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
कैराना के युवा किसान परवेज़ पंवार के मुताबिक रमेश ऐसा करने वाले अकेले किसान नहीं है। कई किसानों ने ऐसा किया है। किसानों में बड़े स्तर पर निराशा पनप रही है। अन्नदाताओं के लिए यह अत्यंत तकलीफ़देह है। किसान उदास है। वो खेती को उदासीन हो रहा है। यह गांव -गांव की बात है।
मायापुर गांव के निवासी किसान रमेश ने कहा कि उसने खून पसीने से अपने खेत में करीब 5 बीघा शानदार फूलगोभी की फसल उगाई थी। जबकि पिछले दिनों वह फूलगोभी के 76 कट्टे दिल्ली मंडी में बेचने के लिए ले गया था, लेकिन वहां कई दिनों बाद भी उसकी फूलगोभी नहीं बिक सकी और वह खराब हो गई। साथ ही कहा कि अन्य मंडियों में उसकी फूलगोभी को केवल एक रुपये प्रति किलोग्राम खरीदा गया। जबकि फूलगोभी की फसल तैयार करने के लिए 4 से 5 हजार रुपये प्रति बीघा खर्च आता है। इस वजह से मैंने फूलगोभी की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर दिया। किसान के मुताबिक उसको 20 हजार का सिर्फ नुकसान हुआ और यह वो नुकसान है जो उसने इस फसल को उगाने में खर्च किया। अब वो कभी कम से कम गोभी की खेती नही करेगा।
झाईखेड़ी गांव के एक और किसान तनवीर ने भी अपनी 10 बीघा जमीन में बोई गई गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया है। तनवीर का कहना है कि जितने पैसे खर्च करके वो इसे मंडी लेकर जाता, उतने में तो लागत का भी खर्च नही आता। इसलिए उसने फसल को नष्ट कर दिया। सहारनपुर के भी एक किसान की गोभी की फसल को खेत मे नष्ट करने की बात सामने आई है।
खास बात यह है कि शहरों में गोभी अभी भी 30 रुपये बिक रही है। जबकि गांव कस्बों में यह 10 रुपये किलो है। किसान से एक रुपये किलो में खरीदी जा रही थी। किसान नेता सुधीर भारतीय के मुताबिक किसान के आंदोलन को समझने के लिए यह घटनाएं ही काफी है। सच तो यह है यह किसान के एक रात जागकर दिए गए पानी के मोल के बराबर भी कीमत नही मिल रही है और कुछ लोग कहते हैं कि किसान मजे कर रहे हैं। यह है किसान की हक़ीक़त। सुधीर कहते हैं समाज के सभी वर्गों को किसान की हिमायत करनी चाहिए।
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Published: 19 Dec 2020, 1:14 PM