गाजीपुर से BSP सांसद अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रद्द, 4 साल जेल की सजा मिलने पर लोकसभा सचिवालय का फैसला
गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल को कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े गैंगस्टर केस में मुख्तार अंसारी को 10 साल जेल और 5 लाख रुपये जुर्माना और उनके भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी को 4 साल जेल के साथ एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की एक अदालत से 4 साल की सजा मिलने के बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर से बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित करते हुए लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता रद्द करने को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है।
गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़े गैंगस्टर एक्ट के मामले में 4 साल की सजा सुनाए जाने के बाद भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ई ) के प्रावधानों और जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 8 के तहत बीएसपी सांसद को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया है। उन्हें अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाने की तारीख यानी कि 29 अप्रैल 2023 से लोक सभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया है।
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लोकसभा सचिवालय द्वारा एक मई को उन्हें अयोग्य घोषित करने को लेकर जारी अधिसूचना में कहा गया है कि, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा स्पेशल ट्रायल 980/2012 में दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने के कारण उत्तर प्रदेश के गाजीपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अफजाल अंसारी को भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ई ) के प्रावधानों एवं जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 8 के तहत लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाता है।
बता दें कि गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल को कृष्णानंद राय हत्याकांड और नंदकिशोर रूंगटा अपहरण केस से जुड़े गैंगस्टर मामले में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को 10 साल जेल और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा और उनके भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी को 4 साल जेल के साथ एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इन दोनों मामलों में 2007 में गैंगेस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी, उनके भाई मुख्तार अंसारी और बहनोई एजाजुल हक पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। एजाजुल हक का देहांत हो चुका है। इस मामले में एक अप्रैल को सुनवाई पूरी हो गई थी और फैसला 29 अप्रैल को आया।
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