जीएन साईबाबा को आरोपमुक्त करने वाले बॉम्बे हाई कोर्ट के जज ने दिया इस्तीफा, खुली अदालत में किया ऐलान
खुली अदालत में पद छोड़ने के अपने फैसले का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकते। उस वक्त वो जस्टिस एम डब्ल्यू चंदवानी के साथ एक खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने वकीलों से माफ़ी मांगी और उन्हें अपना परिवार बताया।
एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के जस्टिस रोहित बी. देव ने शुक्रवार दोपहर खुली अदालत में अपना इस्तीफा दे दिया। जस्टिस देव की पीठ ने ही कथित माओवादी लिंक केस में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य को 2022 में आरोपमुक्त कर दिया था।
खुली अदालत में पद छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकते हैं। उस वक्त वो जस्टिस एम. डब्ल्यू. चंदवानी के साथ एक खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने वकीलों से माफ़ी मांगी और उन्हें अपना परिवार बताया।
अदालत में मौजूद हर वकील से माफी मांगते हुए जस्टिस रोहित बी देव ने कहा, "मैंने आपको डांटा क्योंकि मैं चाहता था कि आप सुधर जाएं...आप लोग कड़ी मेहनत करो।" उन्होंने कहा कि उनका इरादा कभी भी किसी को चोट पहुंचाने का नहीं था क्योंकि सभी उनके लिए एक परिवार की तरह थे और मैं अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकता।
14 अक्टूबर, 2022 को जस्टिस देव और अनिल पंसारे की खंडपीठ ने ही कथित माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य को आरोपमुक्त कर दिया था और उनकी तत्काल रिहाई का भी आदेश दिया था। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार के चुनौती देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी थी। 19 अप्रैल, 2023 को शीर्ष अदालत ने फैसले को रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए किसी अन्य पीठ को सौंपने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति रोहित बी देव का जन्म दिसंबर 1963 में हुआ था और उन्होंने जून 2017 में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले महाराष्ट्र सरकार के महाधिवक्ता और नागपुर में अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल के रूप में कार्य किया है। वह बतौर हाईकोर्ट जज दिसंबर 2025 में सेवानिवृत्त होने वाले थे।
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