बॉम्बे हाईकोर्ट का समीर वानखेड़े के बारे में सामग्री प्रकाशित करने से नवाब मलिक पर रोक लगाने से इनकार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक पर समीर वानखेड़े से जुड़ी सामग्री प्रकाशित करने से रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मलिक को कोई भी सामग्री प्रकाशित करने से पहले उसका सत्यापन कराना होगा।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

वरिष्ठ एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक पर एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ सामग्री प्रकाशित करने पर कोई रोक नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को उन पर इस तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने कहा कि मुंबई एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े और उनके परिवार के बारे में कोई भी सामग्री प्रकाशित करने से पहले नवाब मलिक को उसका तर्कपूर्ण सत्यापन कराना होगा।

हाईकोर्ट के इस निर्णय पर नवाब मलिक ने ट्वीट कर कहा है कि 'सत्यमेव जयते, गड़बड़ियों के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।'


बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह निर्णय समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मामले की सुनवाई के दौरान दिया। इस वाद में वानखेड़े के पिता ने 1.25 करोड़ की मानहानि की मांग की है। ध्यानदेव वानखेड़े ने यह मुकदमा तब दायर किया था जब नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के बारे में एक के बाद एक कई जानकारियां सोशल मीडिया पर शेयर कीं। उन्होंने दावा कि समीर वानखेड़े के पिता का नाम दाऊद वानखेड़े है।

मानहानि के मुकदमे में ध्यानदेव वानखेड़े ने दावा किया कि नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ तब जानकारियां शेयर करना शुरु कीं जब नवाब मलिक के दामाद समीर खान को इस साल जनवरी में एनसीबी ने एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप था कि वे ड्रग्स के धंधे में शामिल हैं। हालांकि समीर खान को इस साल 27 सितंबर को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के बारे में ट्वीट 14 अक्टूबर से करना शुरु किए और पहली नजर में लगता है कि इन्हें निजी दुश्मनी के तहत किया गया है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि सारे ट्वीट वानखेड़े की सरकारी जिम्मेदारियों से जुड़े हुए थे और इन्हें लोगों की जानकारी में लाने के लिए किया गया था।

कोर्ट ने कहा कि इस समय यह नहीं कहा जा सकता कि ट्वीट में लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे हैं। इसलिए नवाब मलिक पर इस बारे में कोई रोक नहीं लगाई जा सकती, अलबत्ता उन्हें इनका सत्यापन कराना होगा।

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