मणिपुरः 2017 के चुनाव में साथ देने के UKLF के दावे पर घिरी BJP, छात्र संगठनों ने मांगा स्पष्टीकरण
संयुक्त बयान में कहा गया है कि अगर यह सच है, तो भारत सरकार मणिपुर में बांटो और राज करो का खेल खेल रही है। यह लोगों के लिए भारत सरकार की फूट डालो और राज करो की नीति के खिलाफ लड़ने का समय है। हम बीजेपी नेतृत्व से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग करते हैं।
मणिपुर के छह छात्र और युवा संगठनों ने आज बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से उग्रवादी संगठन यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (यूकेएलएफ) के उस दावे के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है जिसमें प्रतिबंधित समूह ने कहा है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में उसने बीजेपी उम्मीदवारों का समर्थन किया था। संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह संभव हो सकता है कि कुकी उग्रवादियों ने 2017 के चुनाव के दौरान एक आश्वासन मिलने के बाद बीजेपी का समर्थन किया कि एक अलग प्रशासन (एक अलग राज्य के बराबर) की उनकी मांग पर विचार किया जा सकता है।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि अगर यह सच है, तो भारत सरकार मणिपुर में बांटो और राज करो का खेल खेल रही है। यह लोगों के लिए भारत सरकार की फूट डालो और राज करो की नीति के खिलाफ लड़ने का समय है। हम केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व से यूकेएलएफ के दावों पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग करते हैं। अन्यथा, लोग बीजेपी का बहिष्कार करेंगे और मणिपुर की धरती से पार्टी को उखाड़ फेकेंगे।
उन्होंने भारत के चुनाव आयोग से भी यूकेएलएफ द्वारा किए गए दावे पर उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है। बयान में कहा गया है कि जिस चीज ने लोगों को नाखुश किया वह यह है कि कुकी उग्रवादी खुले तौर पर सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समझौते (22 अगस्त 2008 को हस्ताक्षरित) के जमीनी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और सरकार ने कुछ भी नहीं किया है।
बयान में कहा गया है कि 10 कूकी विधायकों में से सात सत्तारूढ़ बीजेपी के हैं, जिन्होंने कुकी उग्रवादियों की एक अलग प्रशासन या कुकीलैंड की मांग का खुले तौर पर समर्थन किया है। केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व इन विधायकों के माध्यम से समाधान खोजने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है? राज्य बीजेपी इन 10 विधायकों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? इन सबके बीच, कुकी उग्रवादियों को कुछ अर्धसैनिक बलों द्वारा दिए गए खुले समर्थन ने भारत सरकार की भूमिका पर संदेह पैदा किया है।
छात्र संगठनों ने कहा कि इन 10 कुकी विधायकों को उनकी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव के दौरान कुकी उग्रवादियों द्वारा वित्तपोषित और समर्थित किया गया था और कहा कि जब यह खुलकर सामने आया है, तो इन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने मांग की है कि बाकी बचे 50 विधायक दिल्ली जाकर कुकी उग्रवादियों के खिलाफ आवाज उठाएं।
इसमें कहा गया है कि सभी 50 विधायकों को केंद्र को चेतावनी देनी चाहिए कि अगर भारत सरकार राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा नहीं करती है और एसओओ समझौते को रद्द करती है तो वे इस्तीफा दे देंगे और लोगों से हाथ मिला लेंगे। अगर कोई विधायक या मंत्री ऐसा करने में विफल रहता है, तो मणिपुर के लोग उन्हें राज्य से बाहर निकालने का फैसला करेंगे।
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। लोगों को लगता है कि केंद्र को राज्य की परवाह ही नहीं है। छह संगठनों में ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन, मणिपुरी स्टूडेंट्स फेडरेशन, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स एलायंस ऑफ मणिपुर, कांगलीपाक स्टूडेंट्स एसोसिएशन, स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ कांगलेपाक और अपुनबा इरेइपक्की महेरोई सिनपांग लुप शामिल हैं।
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