दिल्ली चुनाव में हुई करारी हार को नहीं पचा पा रही बीजेपी, अब फिर 8 घंटे करेगी मैराथन समीक्षा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा के लिए शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश कार्यालय पर मैराथन समीक्षा बैठक होगी। यह बैठक सुबह दस बजे से शुरू होकर शाम छह बजे तक चलेगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार को बीजेपी पचा नहीं पा रही है। दिल्ली में हार के कारणों की समीक्षा के लिए शुक्रवार को फिर बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पर मैराथन समीक्षा बैठक होगी। यह बैठक सुबह दस बजे से शुरू होकर शाम छह बजे तक चलेगी। बीजेपी मुख्यालय पर गुरुवार दोपहर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मीटिंग के बाद प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बताया, “शुक्रवार को कई चरणों में समीक्षा बैठक होगी। इसमें पार्टी पदाधिकारियों, चुनाव कमेटी, प्रत्याशियों से लेकर चुनाव कैंपेनिंग से जुड़े लोग शामिल होंगे। अलग-अलग स्तर के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग चरण में मीटिंग होगी।”
इस समीक्षा बैठक में विधानसभा चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, सह प्रभारी नित्यानंद राय, दिल्ली प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, संगठन मंत्री सिद्धार्थ खासतौर से मौजूद रहेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव की अहम जि़म्मेदारी संभालने वाले इन नेताओं के निर्देशन में ही समीक्षा बैठक होगी। लेकिन जानकारों का मानना है कि बीजेपी दिल्ली में इन कारणों से हार गई है।
जनता की नब्ज नहीं पहचान पाई बीजेपी
बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव में जनता की नब्ज नहीं पहचान पाई, पार्टी ने उन मुद्दों पर प्रचार नहीं किया जिन पर दिल्ली की जनता मतदान करने वाली थी।
केजरीवाल के मुकाबले कोई चेहरा नहीं
बीजेपी केजरीवाल के मुकाबले कोई चेहरा नहीं दे पाई। 2015 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने किरण बेदी का चेहरा बनाया था। जिसके बाद बीजेपी की करारी हार हुई थी। इस बार बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी के प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की योजना की आम आदमी पार्टी ने हवा निकाल दी।
स्थानीय मुद्दों की अनदेखी
देश की सत्ता हाथ में होने के कारण बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के नेता राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करते दिखे। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत स्थानीय नेता भी सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों पर ही बात करते दिखे। जबकि दिल्ली के लोग स्थानीय मुद्दे के बारे में सुनना चाहते थे।
चुनाव के बीच कानून व्यस्था का बिगड़ना
शाहीनबाग, जेएनयू, जामिया जैसे मुद्दे ठीक चुनाव के बीच ही उठने से भी बीजेपी को काफी नुकसना हुआ है।ऐसे में इन मुद्दों पर आम आदमी पार्टी सरकार को घेरने का बीजेपी का दांव उल्टा पड़ गया, क्योंकि दिल्ली की जनता ये समझ रही थी कि दिल्ली में कानून- व्यवस्था ठीक करने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार के पास है।
योजनाओं के बंद होने का डर
आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली, फ्री पानी, मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाओं के मुकाबले बीजेपी कोई योजना सामने लेकर नहीं आई।
चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं के बिगड़े बोल
दिल्ली के चुनाव प्रचार पर नजर डालें, तो बीजेपी नेताओं के बिगड़े बोल लगातार सामने आएं। बीजेपी नेताओं की आक्रामक भाषाशैली के कारण पार्टी को कई बार बैकफुट पर जाना पड़ा। वहीं आम आदनमी पार्टी जमीनी स्तर पर प्रचार में लगी हुई थी।
स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज
बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय नेताओं से ज्यादा बाहरी नेता इकठ्ठा हो गए। बीजेपी ने करीब 200 सांसदों को चुनाव प्रचार में उतारा था। इनके अलावा केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार की कमान सौंपी थी। इससे कई बार स्थानीय नेता अपने आपको उपेक्षित महसूस करने लगे।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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Published: 13 Feb 2020, 4:59 PM