सांसदों के कामकाज पर मिले फीडबैक से बीजेपी के हाथ-पांव फूले, नमो ऐप पर पूछ रही- महागठबंधन से कितना असर पड़ेगा
चुनावी नतीजों और इन फीडबैक से हैरान पीएम मोदी को खुद नमो एप के जरिए एक सर्वे कराना पड़ा। सर्वे का मकसद भी पार्टी सांसदों के बारे में जनता की राय जानना है। इसी एप पर उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी के हालिया घोषित गठबंधन को लेकर भी लोगों की राय मांगी गई।
मोदी सरकार और बीजेपी में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बेहद घबराहट है। पिछले महीने आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से बीजेपी में अंदरखाने खलबली मची हुई है। इसी बीच सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बीएसपी और एसपी के बीच गठबंधन के ऐलान और देश के कई राज्यों में संभावित गठबंधनों ने पीएम मोदी से लेकर पूरी पार्टी में बेचैनी बढ़ा दी है। इसी का नतीजा है कि आगामी चुनाव में जाने से पहले पार्टी ने अब अपने कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। इसी के तहत सोशल मीडिया और नमो एप के जरिये भी पार्टी कार्यकर्ताओं से कई मुद्दों पर उनकी राय मांगी गई, लेकिन इन फीडबैक के जो नतीजे आए हैं, वह बीजेपी के लिए कहीं से भी शुभ संकेत नहीं हैं।
मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी को अपने अंदरुनी सूत्रों से मिले फीडबैक से पता चला है कि पार्टी के 60 फीसदी से ज्यादा सांसदों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। इतना ही नहीं, खबर है कि नकारात्मक फीडबैक वाले सांसदों में बीजेपी के कई बड़े नेता और मंत्री तक शामिल हैं। वहीं, हाल ही में दिल्ली में संपन्न बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भी सांसदों के बारे में कार्यकर्ताओं की राय जानने की कोशिश की गई। जिसमें पार्टी के कई सांसदों के कामकाज को लेकर कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की। इन सबके बीच पार्टी की मुश्किल ये है कि कई बड़े नेताओं और मंत्रियों का टिकट काट पाना टेढ़ी खीर है है।
वहीं, चुनावी नतीजों और इन फीडबैक से हैरान पीएम मोदी को खुद नमो एप के जरिए एक सर्वे कराना पड़ा। सर्वे का मकसद भी पार्टी सांसदों के बारे में जनता की राय जानना था। यही नहीं इसी एप पर लोगों से उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी के गठबंधन को लेकर भी राय मांगी जा रही है। एप पर सीधा पूछा जा रहा है कि क्या इस गठबंधन से बीजेपी को नुकसान होगा।
खबर है कि पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अपने कई विधायकों के नकारात्मक फीडबैक मिले थे। लेकिन पार्टी ने इस फीडबैक को दरकिनार करते हुए टिकट वितरण किया, जिसका खामियाजा पार्टी को नतीजों में भुगतना पड़ा। ऐसे में अब कयास लग रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी टिकट वितरण पर विशेष ध्यान देने वाली है। कहा जा रहा ह कि इन फीडबैक के आधार पर पार्टी इस बार बड़ी संख्या में अपने सांसदों का टिकट काट सकती है। लेकिन बीजेपी नेतृत्व की मुश्किल ये है कि नकारात्मक फीडबैक के बावजूद कई बड़े नेताओं और मंत्रियों का टिकट काट पाना संभव नहीं है।
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