कभी पैसे वाला राज्य होता था हरियाणा, बीजेपी ने दिवालिया निकाल बना दिया कर्जदारः भूपिंदर हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता विपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा ने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए सीएम खट्टर से वित्तीय कुप्रबंधन, किसानों की कर्जमाफी से लेकर बेरोजगारी भत्ते और बुजुर्गों को पेंशन देने के चुनावी वादे पर जवाब मांगा है।
हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार पर सिलसिलेवार हमले किए हैं। आंकड़ों के साथ बीजेपी सरकार के वित्तीय कुशासन की पोल खोलते हुए उन्होंने कहा कि “इस सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन ने प्रदेश को कर्ज में डुबो दिया है। आज हरियाणा में हर बच्चा अपने सिर पर 80000 का कर्ज लेकर पैदा होता है।” उन्होंने मांग की है कि खट्टर सरकार लगातार बढ़ रहे राज्य के कर्ज पर श्वेत पत्र जारी करे और बताए कि उसने इतना रुपया कहां खर्च किया।
17 मार्च को चंडीगढ़ में हरियाणा एमएलए हॉस्टल में मीडिया से रूबरू पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा, “2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई थी तो उसने पिछली सरकारों के कर्ज पर खूब हायतौबा मचाई थी। इतना ही नहीं पहले की तमाम सरकारों ने जो 60,300 करोड़ का कर्ज लिया था, उस पर बीजेपी श्वेतपत्र लाई थी। हमारी सरकार के दौरान सैकड़ों बड़े प्रोजेक्ट, मेट्रो, रेलवे लाइन, एम्स, आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल कॉलेज, पॉवर प्लांट्स, न्यूक्लियर प्लांट, सैकड़ों बड़े उद्योग स्थापित हुए, लेकिन बीजेपी राज में ऐसा कोई संस्थान, निवेश या उद्योग हरियाणा में नहीं आया। इसके बावजूद बीजेपी सरकार ने बेतहाशा कर्ज लिया। किसानों की कर्जमाफी, बुजुर्गों को 5100 रुपये पेंशन देने और बेरोजगार युवाओं को 11000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने के चुनावी वादे पर सरकार को जवाब देना चाहिए।”
खट्टर सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े करते हुए हुड्डा ने कहा कि साल 2013-14 तक जीएसडीपी के मुकाबले कर्ज का अनुपात महज 15ः10 था, जो आज बढ़कर 21ः14 हो गया है। हरियाणा की गिनती पहले समृद्ध राज्यों में होती थी, लेकिन आज हालत यह है कि यह कर्जवान राज्यों में शामिल हो गया है। ज्यादा कर्जा लेने की वजह से लोन और उसके ब्याज की पेमेंट पर कुल सरकारी खर्च का अनुपात बढ़ता जा रहा है। साल 2016-17 में कुल खर्च का 18.51 प्रतिशत कर्ज लौटाने में जाता था, जो अब बढ़कर 28.61 प्रतिशत हो गया है। हालात ये है कि सरकार के पास पूंजीगत निवेश के लिए भी बजट नहीं है। पूंजी निवेश के लिए बजट में 10 प्रतिशत से भी कम का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार कर्ज लो और घी पीयो की चार्वाक वाली नीति पर आगे बढ़ रही है।
हुड्डा ने प्रदेश सरकार को नसीहत दी कि वह कम से कम पगड़ी गिरवी रखकर कर्ज न ले। सरकार को वक़्त रहते बढ़ते राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को कंट्रोल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2013-14 में जो फिस्कल डेफिसिट 2.07 फीसदी था, वो 2019-20 में बढ़कर 2.82 फीसदी हो गया। इसी तरह जो रेवेन्यू डेफिसिट 2013-14 में महज 0.97 प्रतिशत था, वो 2019-20 में 1.76 प्रतिशत हो गया। उन्होंने कहा कि पूरा देश आज मंदी की चपेट में है। इधर हरियाणा की इंडस्ट्रीयल ग्रोथ भी लगातार कम होती जा रही है। यही वजह है कि आज बेरोजगारी 28 फीसदी तक पहुंच गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी सरकार की नीतियों और कुदरत की मार से राज्य का किसान लगातार कर्जदार होता जा रहा है। उन्होंने कहा, “ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश से हुए नुकसान का सरकार जल्द से जल्द मुआवजा दे। सरकार को एकड़ नहीं, बल्कि नुकसान का आंकलन करके उसके समर्थन मूल्य के बराबर प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवजा देना चाहिए। क्योंकि किसानों की तैयार फसल बर्बाद हुई है। पिछले दिनों हुए नुकसान की अब तक गिरदावरी नहीं हुई थी कि फिर 3 दिन की बारिश ने नुकसान को बढ़ा दिया। गेहूं, सरसों, चना और सब्जियों की खेती को सौ फीसदी तक नुकसान झेलना पड़ा है। दूसरों के लिए अन्न उगाने वाला किसान आज खुद दाने-दाने का मोहताज हो गया है, इसलिए सरकार को फौरन किसानों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।”
भूपिंदर हुड्डा ने कहा कि अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम पाताल में पहुंच चुके हैं, लेकिन हमारे प्रदेश में अब भी दाम आसमान पर हैं। कांग्रेस सरकार में 8.9 प्रतिशत वैट की दर थी, लेकिन अब 17.4 फीसदी दर कर दी गई है। इसके अलावा एक्साइज ड्यूटी से लेकर तमाम टैक्स जनता पर थोप दिए गए हैं। मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमतों को अगर देखा जाए तो तेल की कीमत 30 से 35 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे किसानों को भी राहत मिलेगी और अर्थव्यवस्था को भी बूम मिलेगा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी राज में बोर्ड एग्जाम से लेकर भर्ती तक हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है। उन्होंने कहा, “इन दिनों 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का हाल रोज अखबारों में देखा जा सकता है। ऐसा कोई पेपर नहीं है, जो लीक नहीं हुआ हो। इससे साफ है कि पेपर लीक माफिया प्रशासन में उच्च स्तर तक दखल रखता है। उसके सामने पूरी सरकार नतमस्तक है। क्या मुख्यमंत्री बच्चों का भविष्य बर्बाद करने वाले इस अपराध की जांच करवाएंगे?”
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