हरियाणा विधानसभा का सत्र बिना प्रश्न और चर्चा के संपन्न, विशेष सत्र एक दिन में ही खत्म कर हंगामे से बची सरकार
एससी-एसटी आरक्षण संशोधन एक्ट के समर्थन में प्रस्ताव पास करने के लिए बुलाए गए हरियाणा विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र को एक दिन में ही खत्म कर बीजेपी सरकार घोटालों और सीआईडी पर मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच मची रार पर विपक्ष के हमलों से साफ बच निकली।
हरियाणा विधानसभा के दो दिवसीय कहे जा रहे सत्र का एक दिन में ही समापन हो गया। संसद में पारित किए गए एससी-एसटी रिजर्वेशन संशोधन एक्ट को विधानसभा में पास करवाने के लिए बुलाए गए इस विशेष सत्र में सरकार ने विपक्ष को घेरने का कोई मौका ही नहीं दिया। धान खरीद में घोटाला, पोस्ट मैट्रिक छात्रों की स्कॉलरशिप में घोटाला, अवैध खनन घोटाला और सीआईडी को लेकर मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच मचे घमासान समेत कई मुद्दों की लंबी फेहरिस्त थी, जिनको लेकर विधानसभा में हंगामे के पूरे कयास थे और विपक्षी विधायकों की पूरी तैयारी भी थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने इसका कोई अवसर ही नहीं दिया।
20 जनवरी को बुलाए गए हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में न कोई प्रश्नकाल था और न शून्य काल। चर्चा थी कि विशेष सत्र दो दिन चलेगा। पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण और फिर उस पर चर्चा होगी, जिसके बाद अगले दिन मुख्यमंत्री इस चर्चा का जवाब देंगे। वितरित की गई विधानसभा की कार्यसूची में भी इस बात का उल्लेख था कि सर्वप्रथम राज्यपाल का अभिभाषण होगा और फिर शोक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इसके बाद कार्य सलाहकार समिति की रिपोर्ट पेश की जाएगी। सदन के पटल पर मंत्री कुछ जरूरी कागज रखेंगे। पांचवें नंबर पर 126वें संविधान संशोधन विधेयक के अनुसमर्थन में संकल्प पत्र पेश करने की बात थी और अंतिम और छठे नंबर पर राज्यपाल के अभिभाषण पर विधायक अभय सिंह यादव की ओर से चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश करने और विधायक जोगीराम सिहाग की ओर से इसके समर्थन का उल्लेख था।
लेकिन कार्यसूची में उल्लिखित पांचवें और छठे नंबर पर तय प्रक्रियाओं की नौबत ही नहीं आई। गवर्नर के अभिभाषण पर चर्चा ही वह अवसर था, जिसमें विपक्ष मुद्दे उठा सकता था। सरकार की तरफ से इस तरह की व्यवस्था की गई थी कि विपक्ष को इस तरह का कोई मौका ही न मिले। सत्र पहले सुबह 11 बजे से बुलाया गया था, लेकिन राज्यपाल 11 बजकर 37 मिनट पर सदन में पहुंच सके। कुछ मिनट में ही वर्ष का पहला सत्र होने के चलते गवर्नर एड्रेस की औपचारिकता पूरी हो गई। राज्यपाल ने अपने बेहद छोटे संबोधन में कह दिया कि अपना अभिभाषण वह बजट सत्र में पढ़ेंगे।
राज्यपाल के संबोधन के आधे घंटे पश्चात फिर शुरू हुई सदन की कार्यवाही लंच के पहले संपन्न भी हो गई। इस दरमियान विधानसभा ने सर्वसम्मति से संसद के दोनों सदनों की ओर से पारित संविधान के एक सौ छब्बीसवें संशोधन विधेयक- 2019 के अनुसमर्थन के लिए पेश प्रस्ताव पारित कर दिया। इस संबंध में सदन में प्रस्ताव मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पेश किया। अब राज्य सभा सचिवालय को इस संबंध में किए गए समर्थन से अवगत करवाया जाएगा। प्रस्ताव पारित होने के साथ ही स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने विधानसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
इससे न तो विधानसभा में कोई चर्चा हुई और न ही सरकार की किरकिरी। तमाम तरह के घोटालों के अलावा अपनों के हमलों से बेहाल सरकार विपक्ष की घेराबंदी से पूरी तरह बचकर निकल गई। सहयोगी जननायक जनता पार्टी जहां अपने वरिष्ठ विधायक रामकुमार गौतम की बगावत को ठंडा नहीं कर पाई है। वहीं निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू की ओर से सरकार को दोबारा मिला समर्थन वापसी का अल्टीमेटम उसके लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। इन सभी मसलों के साथ सत्र के गरमाने के पूरे आसार थे, लेकिन सरकार किसी तरह बचकर निकलने में कामयाब हो गई।
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