BJP ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जा पर JDU को दिया झटका, संसद में मोदी सरकार ने कहा- मामला ही नहीं बनता

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को जहां लोकसभा में जेडीयू के रामप्रीत मंडल ने एक प्रश्न के जरिये यह मुद्दा उठाया, वहीं राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने शून्यकाल में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज, दोनों देने की मांग उठाई।

संसद में मोदी सरकार ने कहा- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला ही नहीं बनता
संसद में मोदी सरकार ने कहा- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला ही नहीं बनता
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नवजीवन डेस्क

संसद के दोनों सदनों में सोमवार को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा जोरशोर से उठने पर केंद्र की मोदी सरकार ने 2012 में तैयार एक अंतर-मंत्रालयी समूह की रिपोर्ट का हवाला देते हुए साफ कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई मामला नहीं बनता है। सरकार के इस जवाब को बीजेपी की सहयोगी जेडीयू के लिए एक तरह से बड़ा झटका माना जा रहा है।

दरअसल संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में जहां एक प्रश्न के माध्यम से यह मुद्दा उठाया गया, वहीं राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने शून्यकाल में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज, दोनों देने की मांग उठाई। लोकसभा में जनता दल (यू) के सदस्य रामप्रीत मंडल ने प्रश्न किया कि क्या सरकार का आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार राज्य और अन्य अत्यधिक पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करने का विचार है?

इस प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि अतीत में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया है। मंत्री ने कहा कि इन राज्यों में कुछ ऐसी विशेषताएं थीं जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि इनमें पर्वतीय और दुर्गम भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी जनसंख्या की बड़ी हिस्सेदारी, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी संरचना के लिहाज से पिछड़ापन और राज्य के वित्त की अलाभकारी प्रकृति शामिल रहीं।

पंकज चौधरी ने कहा कि फैसला उक्त सूचीबद्ध सभी कारकों और किसी राज्य की विशिष्ट स्थिति के एकीकृत विचार के आधार पर लिया गया था। उन्होंने आगे कहा, ‘‘पूर्व में विशेष श्रेणी के दर्जे के बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) द्वारा विचार किया गया था, जिसने 30 मार्च 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आईएमजी ने यह निष्कर्ष निकाला था कि एनडीसी के मौजूदा मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है।’’


गौरतलब है कि संसद सत्र से पहले रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में भी बीजेपी की सहयोगी पार्टियों सहित बिहार के कुछ दलों द्वारा राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग उठाई गई थी।रविवार को सर्वदलीय बैठक में जेडीयू नेता संजय कुमार झा ने विशेष राज्य के दर्जे की अपनी पार्टी की मांग दोहराई थी। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी बैठक में यह मांग उठाई थी।

राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग सोमवार को राज्यसभा में भी उठी। आरजेडी सांसद मनोज झा ने उच्च सदन में बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ-साथ विशेष पैकेज देने की भी मांग उठाई और कहा कि इसके लिए उनकी पार्टी संसद से सड़क तक संघर्ष करेगी। उन्होंने जेडीयू की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘हमारे कुछ साथी जो हमारे साथ काम कर चुके हैं, कहते हैं कि विशेष राज्य न दे सको तो विशेष पैकेज पैकेज दो। विशेष राज्य और विशेष पैकेज के बीच में ‘या’ नहीं है। बिहार को ‘या’ स्वीकार नहीं है। विशेष राज्य का दर्जा भी चाहिए और विशेष पैकेज भी चाहिए। हमें दोनों चाहिए। संसद में मांगेंगे, सड़क पर मांगेंगे।’’


गौरतलब है कि जेडीयू केंद्र सरकार को यह संकेत दे चुका है कि यदि राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता तो वह विशेष आर्थिक पैकेज पर सहमत हो सकता है। वहीं बीजू जनता दल (बीजेडी) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी कल हुई सर्वदलीय बैठक में क्रमश: ओडिशा और आंध्र प्रदेश के लिए इसी तरह की मांग उठाई थी। हालांकि, सरकार पहले भी कह चुकी है कि 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में किसी और राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा दिए जाने की संभावना खारिज कर दी गई है।

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