बिहार: 'सामंती हिंसा के साथ 'पलायन जोन' बन रहा गया जिला', दीपांकर भट्टाचार्य ने नीतीश सरकार पर साधा निशाना
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमने साफ-साफ कहा है कि सबसे पहले जिस जमीन पर लोग बसे हुए हैं, उस जमीन का कागज दिया जाए। सरकार बिहार के गरीबों को उजाड़ने में लगी है, जिसे बिहार अब बर्दाश्त नहीं करेगा।
सीपीआई (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले पलायन रोक देने का दावा करते हैं। लेकिन, गया जिला आज सामंती हिंसा के साथ-साथ जबरदस्त रूप से मजदूरों के पलायन का जोन बन रहा है।
'बदलो बिहार न्याय पदयात्रा' के तीसरे दिन शुक्रवार को गया के वजीरगंज से पदयात्रियों का जत्था अपने गंतव्य की ओर रवाना हुआ। इस यात्रा में सीपीआई-माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य के अलावा एमएलसी शशि यादव, अमर, जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय शामिल हुए।
इस यात्रा के दौरान भट्टाचार्य ग्रामीणों, फुटपाथ दुकानदारों और समाज के विभिन्न तबकों से लगातार संवाद कर रहे हैं और बिहार में बदलाव की अपील कर रहे हैं। बुद्ध गेरे की सभा में भट्टाचार्य ने शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज तक एक भी शराब माफिया को सजा नहीं मिली है। लेकिन, गरीबों को जेल में बंद कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि हमने साफ-साफ कहा है कि सबसे पहले जिस जमीन पर लोग बसे हुए हैं, उस जमीन का कागज दिया जाए। सरकार बिहार के गरीबों को उजाड़ने में लगी है, जिसे बिहार अब बर्दाश्त नहीं करेगा।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिन्दू स्वाभिमान यात्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी नहीं चाहती कि बिहार का विकास हो इसलिए उसके एक बड़े नेता हिन्दू-मुस्लिम झगड़ा लगाने के लिए यात्रा कर रहे हैं। ऐसी साजिशों को हरा देना है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पलायन रोक देने का दावा करते हैं लेकिन, गया जिला आज सामंती हिंसा के साथ-साथ जबरदस्त रूप से मजदूरों के पलायन का जोन बन रहा है। मथुरा में जिले के पांच मजदूरों की मौत बहुत ही दुखद है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए हम राष्ट्रीय स्तर पर लगातार कानून बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। लेकिन, बीजेपी और जेडीयू ने इसकी अनदेखी की है। वजीरगंज में पता चला कि वहां से हर दिन कोलकाता के लिए पांच, सिलीगुड़ी के लिए दो और दिल्ली के लिए एक बस खुलती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि गया से व्यापक स्तर पर पलायन हो रहा है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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