बिहार: गैंगरेप पीड़िता और उसे इंसाफ दिलाने में मददगार दो लोग भेजे गए जेल, कोर्ट की अवमानना का लगा आरोप

बिहार के अररिया में एक गैंगरेप पीड़िता को ही जेल भेज दिया गया है। रेप पीड़िता और उनके दो सहयोगियों पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगा है। जिसके बाद इन लोगों को समस्तीपुर के दलसिंहसराय जेल भेज दिया गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

नासिरुद्दीन

बिहार के अररिया जिले में तीन लोग 10-11 जुलाई को गिरफ्तार कर लिए गए। इस वक्त वे जेल में हैं। इनकी गिरफ्तारी, किसी जिले में महज एक और गिरफ्तारी नहीं है। इनमें एक युवती सामूहिक बलात्कार की पीड़ित है। बाकी दो सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये दोनों कार्यकर्ता और इनके साथी यौन हिंसा की शिकार युवती को इंसाफ दिलाने की कोशिश में लगे हैं। इंसाफ पाने और इंसाफ दिलाने की इस कोशिश में इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। कोरोना काल में जब लोगों को जेल से निकालने की बात हो रही है, उस दौर में इन्हें जेल भेज दिया गया है।

इन पर इल्जाम है कि इन्होंने न्यायिक दंडाधिकारी के काम में रुकावट पैदा करने की कोशिश की है। इन पर कई धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। इस वक्त ये तीनों अररिया से दूर समस्तीपुर के दलसिंह सराय जेल में हैं। भारत में शायद यह पहला मौका होगा जब सामूहिक यौन हिंसा की पीड़ित को इस तरह गिरफ्तार किया गया होगा।

सामूहिक बलात्कार और मानसिक हिंसा का दौर

यह घटना बिहार के अररिया जिले की छह जुलाई की है। युवती अपनी शख्सीयत खुद बनाने में लगी है। उसे मोटरसाइकिल चलाने का शौक है। एक परिचित युवक से वह मोटरसाइकिल चलाना सीख रही थी। शाम का वक्त था। अंधेरा बढ़ने लगा तो उस युवती ने घर जाने की बात की। युवक उसे बाइच पर अपने साथ लेकर चला। रास्ते में एक सुनसान जगह पर वह पेशाब करने के लिए रुका। इस बीच, तीन नौजवान आये। वह उनमें से किसी को नहीं जानती थी। उस लड़की से पूछताछ करने लगे। जबरदस्ती पकड़ने लगे। लड़की ने परिचित युवक को आवाज लगायी। कोई जवाब नहीं आया। ये तीनों उसे जबरन बाइक पर लाद कर आगे बढ़ने लगे। लड़की मदद के लिए चिल्लाती रही। उस परिचित ने उसकी मदद की कोई कोशिश नहीं की। वे उसे जंगल में ले गये। भागने की कोशिश में वह गिर गयी। जान से मारने की धमकी देकर इसे काबू में करने की कोशिश की गयी। इसके बाद चार नामालूम लोगों ने इसके साथ बलात्कार किया। जंगल में दूर-दूर तक इस युवती की मदद की गुहार सुनने वाला कोई नहीं था। रात साढ़े दस बजे ये बलात्कारी लड़के उसे शहर के पास एक इलाके में छोड़ कर गायब हो गये।


इस हाल में युवती को कुछ मददगार दीदियों का नाम ध्यान में आया। वह इन लोगों को करीब से जानती है। उसने जन जागरण शक्ति संगठन (जेजेएसएस) की कल्याणी को फोन किया। उसने कल्याणी दीदी और बाकी दीदियों को पूरी घटना बतायी। यह सारी बातें युवती की ओर से अररिया के महिला थाने में केस नम्बर 59/20 के रूप में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी के तहत दर्ज हैं। यह धारा सामूहिक बलात्कार की घटना से जुड़ी है। अपनी तहरीर में युवती ने उस परिचित युवक के बारे में भी जानकारी दी है।

जेजेएसएस की शोहनी बताती हैं कि जब हम रात में युवती से मिले तो उसकी हालत बेहद खराब थी। वह घर वालों को इसके बारे में बताने से डर रही थी। उसे अपने परिवारजनों और समाज के रवैये की फिक्र सता रही थी। रात में हमने उसे अपने पास ही रोक लिया। उसे काफी हौसला दिया। जब उसका डर कम हुआ और दिमागी हालत थोड़ी बेहतर हुई तो हम सात जुलाई को उसे लेकर महिला थाने गये। केस दर्ज होने का आदेश हुआ। उसकी मेडिकल जांच हुई। मेडिकल जांच पूरी नहीं हुई थी, इसलिए उसे आठ जुलाई को भी जाना पड़ा।

शोहनी का आरोप है कि जब हम दूसरी बार मेडिकल के लिए गये तो पुलिस ने युवती से एक सादे एफआईआर फॉर्म पर दस्तखत कराया। युवती और मैंने इस पर एतराज किया लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ। यही नहीं, शोहनी का आरोप है कि पुलिस ने जब युवती के उस दिन के कपड़े भी जांच के वास्ते लिये तो उसे न तो सील किया और न ही उसका कोई कागज दिया।

इस बीच, पुलिस की जांच शुरू हुई। युवती को उस खौफनाक घटना कई बार बताना पड़ा। उसे घटना की जगह जाना पड़ा। कामायनी कहती हैं, इन सबका उसके दिमागी हालत पर साफ असर दिख रहा था।


तो दस जुलाई को क्या हुआ

कामायनी ही बताती हैं कि दस जुलाई को महिला थाने से फोन आया कि युवती का धारा 164 के तहत न्यायिक दंडाधिकारी के सामने बयान होना है। हम 11 बजे वहां पहुंच गये। करीब चार बजे मानसिक प्रताड़णा और पीड़ा की हालत में युवती का न्यायिक दण्डाधिकारी श्री मुस्ताफा शाही के सामने बयान हुआ। हम बाहर थे। जब न्यायिक दंडाधिकारी ने युवती को बयान पर दस्तखत करने के लिए कहा तो वह चिड़चिड़ा गयी। हमारे मुताबिक, उसकी दिमागी हालत इन सबको समझ नहीं पा रही थी। इतना भयावह हादसा, बयान के लिए गर्मी में 4-5 घंटे इंतज़ार। और इस बीच, गिरफ्तार एक आरोपित की पास में ही मौजूदगी... कुल मिलाकर ये सब उसकी दिमागी हालत को बेहद मुश्किल बना रहे थे। शायद इसी वजह से वह न्यायिक दंडाधिकारी से तेज आवाज़ में बात करने लगी। उसने कहा कि मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, कल्याणी दीदी को बुलाइये। हालांकि, समझाने पर युवती ने दस्तखत कर भी दिये।

जब वह बाहर निकली तो कल्याणी और तन्मय से जोर-जोर से बात करने लगी। इसके बाद न्यायिक दंडाधिकारी ने इन सबको अंदर बुलाया। कल्याणी से पूछताछ करने लगे। कल्याणी ने कहा कि अगर उसे बयान नहीं समझ में आया है तो इसे दोबारा पढ़कर सुनाना चाहिए। बात बढ़ती गयी। आवाज़ सुनकर तन्मय भी अंदर गया। इन सबको न्यायिक कार्य में बाधा माना गया। न्यायिक दंडाधिकारी ने तीनों को पुलिस के हवाले कर दिया।

न्यायिक दंडाधिकारी के पेशकार राजीव रंजन सिन्हा की तरफ से महिला थाना में एफआईआर के लिए दी गयी तहरीर और स्थानीय अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक, इन तीनों पर न्यायिक काम में बाधा डालने, अमर्यादित भाषा का प्रयोग और पीठासीन पदाधिकारी के साथ अभद्र व्यवहार करने और न्यायालय में काम करने वालों को धमकी देने का आरोप लगाया गया है। यही नहीं, इस तहरीर में संगठन की गतिविधियों की जांच के लिए भी कहा गया है। इसी आधार पर इनके खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया।

पेशकार की तहरीर पर 10 जुलाई को ही केस नम्बर 61/20 के तहत आईपीसी की कई धाराओं में इन पर मुकदमा दर्ज हुआ। इनमें धारा 353 यानी सरकारी अधिकारी को उसके काम करने से रोकने के लिए हमला करना या आपराधिक जोर का इस्तेमाल करना, धारा 228 यानी न्यायिक काम करने के लिए पीठासीन सरकारी अधिकारी का जानबूझकर अपमान करना या बाधा डालना, धारा 188 यानी महामारी कानून के तहत सरकारी आदेश का उल्लंघन करना, धारा 180 यानी बयान पर दस्तखत करने से इनकार करना, धारा 120 बी यानी आपराधिक षडयंत्र और न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की कुछ धाराएँ शामिल है।


दस जुलाई को ही शाम में इन तीनों को पुलिस हिरासत में ले लिया गया। शोहनी के मुताबिक, उस दिन गिरफ्तारी का कोई कागज नहीं दिया गया। दूसरे दिन यानी 11 जुलाई को दिन में हमसे एक खाली फॉर्म पर दस्तखत कराया गया। शाम में इन तीनों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। इस वक्त वे समस्तीपुर के दलसिंहसराय जेल में हैं।

जन जागरण शक्ति संगठन का क्या कहना है

जन जागरण शक्ति संगठन (जेजेएसएस),अररिया और आसपास के इलाकों में मज़दूरों के बीच काम करने वाला संगठन है। इस घटना के बाद जेजेएसएस के आशीष का कहना है कि हम संवैधानिक मूल्यों को मानने वाले संगठन हैं। हमें न्यायि‍क प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। हमारे साथियों की मंशा किसी भी तरह न्यायिक प्रक्रिया में रुकावट डालने या न्यायिक अधिकारी का अपमान करने की नहीं थी और न है. हम तो बस यही कोशिश कर रहे हैं कि उस युवती को इंसाफ मिले। देखा जाए तो एक तरह से हम इस यौन हिंसा के मामले में न्यायिक प्रक्रिया के मददगार बन कर काम कर रहे थे। हमें डर है कि कहीं सारा ध्यान बलात्कार की घटना और पीड़ित को इंसाफ़ दिलाने से हटकर पीड़ित के कथित दुर्व्यवहार पर न केन्द्रित हो जाए।

जेजेएसएस के महासचिव रंजीत पासवान ने मांग की है कि इन पर लगे आरोपों को इस घटना के बाद उपजे हालात और युवती की मानसिक हालत के मद्देनजर देखा जाए। इन तीनों से मुकदमा खत्म किया जाए। सभी बलात्कारियों को गिरफ्तार किया जाए और यौन हिंसा के मामले में इंसाफ दिलाने की प्रक्रिया तेज की जाए।


इस संबंध में बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि बार-बार की कोशिश के बाद भी किसी भी सम्बंधित अधिकारी से सम्पर्क नहीं किया जा सका है। हालांकि, इस रिपोर्ट को लिखने के लिए आधिकारिक पक्ष के तौर पर एफआईआर के लिए दी गयी तहरीरें हमारे पास मौजूद हैं।

बिहार के महिला संगठनों का बयान

इस बीच बिहार के कई अहम महिला संगठनों ने सामूहिक बलात्कार की पीड़ित और दो सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की सख्त निंदा की है। इन्होंने कहा है कि एक लड़की के साथ गैंग रेप होता है और जब वह अपना बयान दर्ज करने न्यायिक दंडाधिकारी के पास जाती है तो न्याय देने के बदले उसे ही जेल भेज दिया जाता है। ये कैसा इंसाफ है? इन्होंने मांग की है कि तीनों को बिना शर्त तुरंत जेल से रिहा किया जाए। बलात्कारियों को गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए। यह बयान बिहार महिला समाज की निवेदिता, प्रगतिशील महिला संगठन (एपवा) की मीना तिवारी, जनवादी महिला समिति की रामपरी, सिस्टर ऑफ चैरिटी नाजरथ की सिस्टर लीना, एएसडब्लूएफ की आसमां खान, विमुक्ता स्त्री मुक्ति संगठन की आकांक्षा, बिहार मुस्लिम महिला मंच की नुसरत जहां, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर- बख्तियारपुर की सिस्टर नेहा, मेक ए न्यू लाइफ फाउंडेशन की तबस्सुम अली की ओर से जारी किया गया है। इन सभी महिला संगठनों के मुताबिक यह घटना न सिर्फ बलात्कार की शिकार लड़की के साथ अमानवीय है बल्कि महिला अधिकारों पर भी हमला है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia