'मध्य प्रदेश में कोरोना काल के दौरान गरीबों को दिए जाने वाले राशनों में हुआ महाघोटाला, SIT से हो जांच'

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि कोरोना काल के दौरान गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के करीब पौने पांच करोड़ लोगों को नि:शुल्क राशन वितरण में की गई अनियमित्ताओं की एस.आई.टी. गठित कर जांच कराई जाये।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कोरोना काल में गरीब और मध्य वर्गीय परिवारों को वितरित करने वाले राशन में घोटाला होने का आरोप लगाते हुए एसआईटी से जांच कराने की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा है कि कोरोना काल के दौरान गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के करीब पौने पांच करोड़ लोगों को नि:शुल्क राशन वितरण में की गई अनियमित्ताओं की एस.आई.टी. गठित कर जांच कराई जाये। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत इस वर्ष अप्रैल, मई और जून और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में माह मई और जून का राशन दिया जाना था। इन पांच माहों के राशन वितरण में पूरे प्रदेश में महाराशन घोटाला सामने आ रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा है कि कोरोना की महामारी के दौरान जब प्रदेश में हजारों लोग प्रतिदिन संक्रमित होकर मौत के मुंह के जूझ रहे थे और सैकड़ों लोग दूसरी लहर में जान गवां रहे थे। उसी राज्य में राशन माफिया भीषण आपदा में भ्रष्टाचार का अवसर ढूंढ रहा था। माफिया से जुड़े लोगों ने पांच माह की जगह दो से तीन माह का आधा-अधूरा राशन दिया। जनसंपर्क और जिलों में भ्रमण के दौरान अनेक गरीब परिवारों ने मुझे इस घोटाले से अवगत कराया। गत वर्ष कोरोना महामारी की पहली लहर में भी हजारों क्विंटल अनाज की अफरा-तफरी की गई और गरीबों को उनके हक का पूरा अनाज नहीं दिया गया।

राज्यसभा सदस्य का कहना है कि राशन वितरण में गड़बडी की जानकारी मिलने पर 10 अक्टूबर 2020 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। इस वर्ष भी गरीबो का राशन छीने जाने की सूचना मिलने पर मेरे द्वारा 15 जून 2021 को पुन: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर जांच की मांग की और यह बताया कि किस तरह गरीब लोगों से अंगूठा लगवाकर और हस्ताक्षर कराते हुए उन्हें पांच माह की जगह दो से तीन माह का ही राशन दिया जा रहा है।


सिंह का दावा है कि राजधानी में सरकार की नाक के नीचे भोपाल जिले में हुए इस घोटाले की कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा पड़ताल की गई तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसमें हितग्राही बयान दे रहे हैं कि उन्हें मिलने वाले राशन का आधा हिस्सा भी नहीं दिया गया है। आश्चर्यजनक यह है कि उचित मूल्य की दुकान पर काम करने वाले कर्मचारियों ने खाद्य सुरक्षा के पोर्टल पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की एंट्री तो की है पर पूरा राशन नहीं दिया। इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा मिशन के हितग्राहियों की पोर्टल पर किसी भी तरह की एन्ट्री नहीं की गई है। इसलिए हजारों करोड़ रुपए कीमत वाले इस महाराशन घोटाले की जांच सी.बी.आई. से कराई जाये या फिर एस.आई.टी. गठित कर जांच कराई जानी चाहिये।

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