चुनाव आयोग से चिराग-पारस को बड़ा झटका, LJP का चुनाव चिन्ह जब्त, दोनों गुट नहीं कर सकेंगे उपयोग
इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों (चिराग और पशुपति पारस समूह) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर दावा किया था कि उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह बंगला है। चिराग पासवान ने आयोग से कहा था कि पशुपति पारस गुट ने अवैध रूप से पार्टी को अपने कब्जे में लिया है।
चुनाव आयोग की तरफ से चिराग पासवान और पशुपति पारस को बड़ा झटका लगा है। आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया है। चुनाव आयोग के बयान के अनुसार, लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुट, चिराग और पासवान (पशुपति पारस) में से किसी को भी लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न् का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। फिलहाल दोनों गुटों को अंतरिम उपाय के तौर पर, उनके समूहों के नाम और उनके उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न् आवंटित किए जा सकते हैं।
इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों (चिराग और पशुपति समूह) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर दावा किया था कि उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह बंगला है। चिराग पासवान ने आयोग से कहा था कि पशुपति पारस गुट ने अवैध रूप से पार्टी को अपने कब्जे में लिया है। फिलहाल चुनाव आयोग ने दोनों गुटों की मांग खारिज कर दी है।
गौरतलब है कि बिहार में इसी महीने विधानसभा के उपचुनाव होने वाले हैं। एलजेपी ने भी इसमें उम्मीदवारों को उतारने का फैसला किया है। फिलहाल जब केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने एलजेपी के चुनाव चिन्ह यानी की बंगले पर रोक लगा दी है तो चिराग पासवान और पशुपति पारस, दोनों गुटों के लिए उप-चुनाव में नई मुश्किल सामने आ गई है। इस समय बिहार की दो विधानसभा उपचुनाव सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है।
लोक जनशक्ति पार्टी में ये विवाद तब शुरू हुआ जब इसी साल जून में 5 सांसद चिराग पासवान से अलग होकर पशुपति पारस के खेमे में चले गए और अघोषित तौर पर पशुपति पारस ने एक अलग खेमा बना लिया। जिसे बाद चिराग के चाचा पशुपति पारस ने स्वयं को रामविलास पासवान का उत्तराधिकारी घोषित करते हुए पार्टी अध्यक्ष घोषित कर दिया। इस बीच लोकसभा में, पशुपति पारस गुट को अध्यक्ष ओम बिरला ने लोक जनशक्ति पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी है और बाद में केंद्र की मोदी सरकार में भी वह लोक जनशक्ति पार्टी कोटे से मंत्री बना दिए गए।
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