छत्तीसगढ़: रमन सरकार में हुए 36 हजार करोड़ के ‘नान घोटाले’ की एसआईटी करेगी जांच, बघेल सरकार ने दिए आदेश
रमन सरकार में हुए बहुचर्चित करोड़ों के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले की जांच के लिए नई सरकार ने आइजी रैंक के पुलिस अफसर की अध्यक्षता में एसआइटी के गठन का निर्णय लिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने कथित रुप से 36 हजार करोड़ रुपये के नागरिक आपूर्ति निगम (नान घोटाले) की जांच के लिये एसआईटी गठित करने को मंजूरी दे दी है। राज्य के कृषि और जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस बात की जानकारी दी। यह टीम आईजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में काम करेगी। उन्होंने कहा, “हमने जनता से सच सामने लाने का वादा किया है।”
रवींद्र चौबे ने कहा, “ पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह को इस बात का भय नहीं होना चाहिये कि जांच कहां तक पहुंचेगी। पहले भी हमारा जो आरोप था, उस आरोप पर हम अभी भी कायम हैं। हमारी कोई कार्रवाई बदले की भावना से नहीं होगी लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस प्रकार जांच होनी चाहिये, उसी तरह से जांच की जाएगी।” छत्तीसगढ़ में नवगठित सरकार बनने के बाद यह दूसरा मामला है, जिसकी एसआईटी जांच करवाई जा रही है। इससे पहले 2013 में झीरम में हुये माओवादी हमले की एसआईटी जांच कराने की सरकार ने घोषणा की है। बता दें कि झीरम घाटी में हुये माओवादी हमले 29 लोग मारे गये थे। इस मामले की एनआईए जांच पहले ही हो चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि नान घोटाला प्रदेश के लाखों गरीबों के हक के राशन की चोरी का मामला है। गरीबों की थाली के अनाज को जिन रसूखदार लोगों ने चुरा लिया, उनकी जांच होनी चाहिये, उन पर कार्रवाई होनी चाहिये। रमन सिंह सरकार पर आरोप है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में राइस मिलरों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी की गई।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने 12 फरवरी 2015 को राज्य में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मार कर करोड़ों रुपये बरामद किये थे। इसके अलावा टीम ने भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी भी जब्त किये थे। इस मामले में 16 लोगों के खिलाफ 15 जून 2015 को अभियोग पत्र पेश किया गया था और दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा को आरोपी बनाया गया था। इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति के लिये केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखी गई थी। केंद्र सरकार ने 4 जुलाई 2016 को आरोपी दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के खिलाफ कार्रवाई के लिए अनुमति भी दे दी, लेकिन तात्कालीन सीएम रमन सिंह ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपियों से एक डायरी भी बरामद की थी। उस डायरी में ‘सीएम मैडम’ ‘साहेब’ और ‘सीएम कुक’ जैसे नामों का जिक्र थे। इनके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के कई परिजनों के नाम कथित रुप से रिश्वत पाने वालों के तौर पर दर्ज थे।
कांग्रेस का आरोप है कि इस कथित डायरी के 107 पन्नों में विस्तार से कथित लेन-देन दर्ज था, लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने इस डायरी के केवल 6 पन्नों का सुविधानुसार उपयोग किया। कांग्रेस का मानना है कि डायरी के 107 पन्नों में पूरे घोटाले के राज छुपे हैं।
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