Bharat Ratna: जननायक कर्पूरी ठाकुर, पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह सहित चार शख्सियतों को मिला भारत रत्न

राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कर्पूरी ठाकुर, पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया। इन चारों विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की चार महान शख्सियतों- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर, देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, किसानो के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया।

राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में इन चारों विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

गौरतलब है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहा जाता है। सामाजिक न्याय की अवधारणा को सही मायनों में जमीन पर उतारने वाले कर्पूरी ठाकुर ने न केवल समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई।

जेपी और डॉ. राममनोहर लोहिया के करीबी कर्पूरी ठाकुर को आज भी बिहार में सम्मान के साथ याद किया जाता है।


देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा माना जाता है। खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ इलाकों में उन्हें ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के ऐलान के बाद ही उनके पोते जयंत चौधरी ने विपक्षी गठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए गठबंधन में आने का फैसला किया। 

देश में उदारीकरण और आर्थिक सुधारों की शुरुआत करने वाले पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। अविभाजित आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले पीवी नरसिम्हा राव ने जीवन भर कांग्रेस में रहकर राजनीति की। वह मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और देश के प्रधानमंत्री भी बने। 

वहीं कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा कि जो देश 1960 के दशक में अपने लोगों का भरण-पोषण करने के लिए अमेरिकी गेहूं पर निर्भर था वह 1971 में अनाज उत्पादन में आत्म-निर्भर घोषित कर दिया गया। स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में 28 सितंबर 2023 को निधन हो गया।

उन्होंने अमेरिकी कृषि विज्ञानी नॉर्मन बोरलॉग के साथ भारत और उपमहाद्वीप में चावल और गेहूं की उच्च उपज वाली आनुवंशिक किस्मों की खेती शुरू की। स्वामीनाथन को उनके काम के लिए 1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार दिया गया। स्वामीनाथन ने अपना पूरा जीवन कृषि और किसानों की आय में सुधार को समर्पित कर दिया।

स्वामीनाथन के मित्र और सहकर्मी प्यार से उन्हें एमएस कहकर संबोधित करते थे। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन था। अपने लंबे करियर में स्वामीनाथन ने वह कर दिखाया जिसकी उन्होंने कभी वकालत की थी। उन्होंने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नयी किस्मों का विकास किया और किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करके बंपर पैदावार सुनिश्चित की।


राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में इन चारों विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर ने यह सम्मान प्राप्त किया। पीवी नरसिम्हा राव को भी मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनके पुत्र पीवी प्रभाकर राव ने राष्ट्रपति से यह सम्मान प्राप्त किया।

 वहीं देश के एक और पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह को भी मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में उनके पोते जयंत चौधरी ने यह सम्मान प्राप्त किया। देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी (मरणोपरांत) भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी बेटी डॉ. नित्या राव ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह सम्मान प्राप्त किया।

बता दें कि, देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाना है। लेकिन अस्वस्थ होने के कारण वह शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार,31 मार्च को लालकृष्ण आडवाणी के घर जाकर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करेंगी।

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