राजधानी में रहने वाले सावधान! विश्व की सबसे प्रदूषित शहर बनी दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में सबसे ऊपर पहुंच गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक वायु प्रदूषण 2018 की रिपोर्ट में दिल्ली को 62 प्रदूषित शहरों में पहले स्थान पर रखा गया है।
दिल्ली में रहने वाले जरा सावधान हो जाए। आपको सांस लेने से लेकर कई समस्याओं का सामना कर पड़ सकता है। क्योंकि दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली सबसे ऊपर है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ग्रीनपीस इंडिया द्वारा किए गए अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। ग्लोबल एयर पॉल्यूशन 2018 की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया के 62 प्रदूषित शहरों में पहला स्थान दिया गया है। इतना ही नहीं टॉप 6 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों के लिस्ट में 5 भारत के हैं।
ग्रीनपीस ने अपनी रिपोर्ट में प्रदूषित 62 शहरों की लिस्ट जारी की है। टॉप 6 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में पांच तो भारत के ही हैं। जिसमें गुरुग्राम को सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। वहीं इस रिपोर्ट में पाकिस्तान का एक शहर भी शामिल है। भारत के पांचों प्रदूषित शहरों के नाम इस तरह से हैं। सबसे पहला नंबर गुरुग्राम, उसके बाद गाजियाबाद, तीसरे पायदान पर पाकिस्तान का फैसलाबाद, चौथे पर फरीदाबाद, पांचवां नंबर राजस्थान के भिवाड़ी का है और छठे नंबर पर एनसीआर का ही नोएडा है।
एनजीओ ने यह रिपोर्ट 2018 के पर्यावरण के आंकलन के आधार पर जारी किया है। वहीं एनजीओ की सूची में तीन राजधानियां शामिल हैं, जिसमें सबसे ऊपर भारत की राजधानी दिल्ली है। दूसरे नंबर पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका और तीसरे नंबर पर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल है। हालांकि, एनजीओ आधिकारिक तौर पर आंकड़ा आज जारी करेगी।
इस बीच मानवाधिकार एवं पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ डेविड आर बॉयड ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद में बताया कि दुनिया की 90 फीसदी आबादी को वायु प्रदूषण का खतरा है। दुनिया के छह अरब से अधिक लोग जिनमें से एक-तिहाई बच्चे हैं, उन्हें प्रदूषित हवा में सांस लेना पड़ रहा है। इसके कारण उनकी जिंदगी खतरे में पड़ती है।
बॉयड ने आगे कहा, “कई वर्षो तक प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण कैंसर, सांस की बीमारी या हृदय की बामारी से पीड़ित रहने के बाद, हर घंटे 800 लोग मर रहे हैं। फिर भी इस तरह पर्याप्त ध्यान नहीं है, क्योंकि ये मौतें उस तरह नाटकीय नहीं हैं, जिस तरह अन्य आपदाओं या महामारी से होने वाली मौतें होती हैं।”
लोगों को घर के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रदूषित हवा में सांस लेना पड़ता है। वायु प्रदूषण हर साल 70 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार है, लेकिन इसके बावजूद पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है।
(आईएएनएस के इनपुट साथ)
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