अयोध्या विवाद: आखिरकार पीएम ने तोड़ी चुप्पी, कहा- ‘बयान बहादुरों’ से निवेदन, मंदिर की सुनवाई में न डालें अड़ंगा
महाराष्ट्र के नासिक में पीएम ने कहा कि कुछ बड़बोले लोग अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं, देश के सभी लोगों के मन में सुप्रीम कोर्ट का सम्मान होना जरूरी है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट में सभी लोग अपनी बात रख रहे हैं। ऐसे में ये ‘बयान बहादुर’ कहां से आ गए?
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई चल रही है। दूसरी ओर पीएम मोदी ने रामजन्मभूमि विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि देश को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है, मैं बयान बहादुरों से निवेदन करता हूं कि भगवान राम के लिए सुनवाई में अड़ंगा न डालें। उन्होंने आगे कहा कि यह मुद्दा अभी भी कोर्ट में है।
महाराष्ट्र के नासिक में एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “कुछ बड़बोले लोग अयोध्या राम मंदिर को लेकर अनाप-शनाप बयान देना शुरू कर देते हैं। देश के सभी लोगों के मन में सुप्रीम कोर्ट का सम्मान होना जरूरी है। कोर्ट में सभी लोग अपनी बात रख रहे हैं। ऐसे में ये बयान बहादुर कहां से आ गए? मैं ऐसे बयान बहादुर लोगों को हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि भगवान के लिए, भगवान राम के लिए भारत की न्याय प्रणाली में विश्वास रखें और आंख बंद करके कुछ भी अनाप-शनाप न बोलें।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “मुझे आश्चर्य होता है कि आखिर ये ‘बयान बहादुर’ आते कहां से हैं? वे बाधा क्यों बन रहे हैं? हमें देश के सुप्रीम कोर्ट, संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा करना चाहिए। मैं इन लोगों से गुजारिश करता हूं कि ये कृपया भगवान के लिए न्यायपालिका पर श्रद्धा और भरोसा रखें।”
बता दें कि अयोध्या राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित संवैधानिक पीठ पिछले 5 अगस्त से लगातार सुनवाई कर रही है। 18 अक्टूबर तक राम मंदिर विवाद पर फैसले की उम्मीद की जा रही है। सुनवाई के 27वें दिन आज गरमागरम बहस हुई। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विवादित इमारत की मुख्य गुंबद के नीचे गर्भ गृह होने के दावे को बाद में गढ़ा गया बताया। इस पर जजों ने कई सवाल दागे, जिसके बाद धवन ने सवाल कर रहे जज के लहजे को ही आक्रामक बता दिया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगी।
राजीव धवन की मुख्य दलील इस पर आधारित रही कि विवादित इमारत के बाहर बना राम चबूतरा वह जगह है जिसे भगवान राम का जन्म स्थान कहा जाता था। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि साल 1885 में महंत रघुवरदास की तरफ से दाखिल मुकदमे में यही कहा गया था। मुख्य गुंबद के नीचे असली गर्भगृह होने की धारणा को बाद में बढ़ाया गया। इसी वजह से 22-23 दिसंबर, 1949 की रात वहां गैरकानूनी तरीके से मूर्तियां रख दी गई।
इसे भी पढ़ें: असम के बाद यूपी में भी एनआरसी की तैयारी, क्या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है सरकार!
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
- PM Modi
- Supreme Court
- ayodhya
- Maharashtra
- Nashik
- सुप्रीम कोर्ट
- पीएम मोदी
- राम मंदिर
- अयोध्या
- महाराष्ट्र
- नासिक
- Ram Mandir Construction
- Ayodhaya Case