अयोध्या केस: सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने दावा वापस लेने के लिए कोर्ट में दी याचिका! जानें क्या है सच्चाई
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 40वें और आखिरी दिन की सुनवाई जारी है। इसी बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी की ओर से कोर्ट में श्रीराम पांचू के माध्यम से एक आवेदन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें इस केस से अपना दावा वापस लिए जाने की बात कही गई है।
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या भूमि विवाद की आखिरी दिन की सुनवाई जारी है। इस बीच एक बड़ी बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी की ओर से कोर्ट में श्रीराम पांचू के माध्यम से एक आवेदन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें इस केस से अपना दावा वापस लिए जाने की बात कही गई है। सूत्रों के मुताबिक, जफर अहमद फारूकी को ऐसा करने के लिए कहा गया था। श्रीराम पांचू मध्यस्थता समूह का एक हिस्सा थे। हालांकि कोर्ट की ओर से अभी इस परर कोई टिप्पणी नहीं आई है।
इससे पहले श्रीराम पांचू एक वकील के रूप में फारूकी का प्रतिनिधित्व करते हुए दिखाई दिए थे। जब वह दो दिन पहले कोर्ट में आए थे, तो उन्होंने कहा था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अतिरिक्त सुरक्षा देने की जरूरत है। जफर अहमद फारूकी द्वारा दावा वापस लिए जाने की याचिका की बात सामने आने के बाद ये बात साफ हो गई है कि अतिरिक्त सुरक्षा क्यों मांगी गई थी।
हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि सीजेआई ने हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया है या नहीं क्योंकि गोगोई ने हिंदू महासभा द्वारा हस्तक्षेप को अस्वीकार कर दिया है। हिंदू महासभा को लताड़ते हुए सीजेआई गोगोई ने कहा कि अब बहुत हुआ।
वक्फ बोर्ड के चेरमैन जफर अहमद फारूकी द्वारा कोर्ट में दायर याचिका को लेकर स्थिती साफ नहीं हो पायी है। क्योंकि ऐसे किसी भी मामले में वक्फ बोर्ड पहले बैठक करता है और इसके बाद इस तरह के फैसले लिए जाते हैं। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब अजय बिष्ट सरकार ने मामले से मुस्लिम पार्टियों को हटाने का प्रयास किया हो। उन्होंने पहले राजीव धवन को हटाने का प्रयास किया था, फिर उन्होंने मध्यस्थता पैनल के माध्यम से प्रयास किया था। तब उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड को राज्य के विपरीत बयान देने के लिए कहकर भ्रम पैदा किया था। इस बार उनकी ये आखिरी कोशिश थी।
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