दिल्ली में चीन का हवाला ऑपरेटर गिरफ्तार, चीनी खुफिया सर्विस से जुड़े होने का संदेह
पूछताछ के दौरान पता चला कि लुओ सांग 2013 में भारत आया और मणिपुर में बस गया। उसने वहां एक भारतीय महिला से शादी की और किराए के घर में रहने लगा। पूर्वोत्तर राज्य में बिताए समय ने उसे एक भारतीय पहचान पाने में सक्षम बनाया, जो उसके आगे के कार्य के लिए आवश्यक था।
दिल्ली-एनसीआर में चल रहे अरबों रुपये के हवाला गिरोह के सरगना लुओ सांग उर्फ चार्ली पेंग को गिरफ्तार किया गया है। सांग पर चीनी खुफिया सर्विस का एजेंट होने का शक है। सांग पर चीन के मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (एमएसएस) से जुड़े होने का संदेह जताया जा रहा है। इससे पहले भी दिल्ली पुलिस ने उसे 2018 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था।
आयकर विभाग ने मंगलवार को कुछ चीनी व्यक्तियों और भारतीय पेशेवरों को कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला लेनदेन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्त में लिया था। इन लोगों में लुओ सांग भी शामिल था, जो मास्टरमाइंड में से एक है। विभाग ने खुलासा किया कि लुओ सांग ने 40 से अधिक बैंक खाते संचालित किए, जो कई शेल कंपनियों से जुड़े हैं। विभाग ने कहा कि हवाला संचालन 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन से जुड़ा था। फिलहाल विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा लुओ सांग से गहन पूछताछ जारी है।
शीर्ष खुफिया सूत्रों ने बताया कि जाली आधार कार्ड और यात्रा दस्तावेज के जरिए सांग ने चार्ली पेंग के नाम से नकली भारतीय पहचान बनाई थी। तिब्बत के ल्हासा में चेंग गुआन जू का स्थायी निवासी लुओ सांग लगभग सात से आठ साल पहले ल्हासा में कथित तौर पर एमएसएस के संपर्क में आया था, जो चीन की बाहरी खुफिया एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
सूत्रों का कहना है कि उसे शुरू में नेपाल भेजा गया था, जहां पर काठमांडू में चीनी दूतावास के अधिकारियों द्वारा उसकी मदद की गई थी। सूत्रों ने बताया कि वह मनी एक्सचेंज और हवाला ऑपरेशन के साथ ही अकाउंट संबंधी कार्यों में प्रशिक्षित है। सूत्रों ने कहा कि इसके बाद वह भारत आया था, जहां वह तिब्बती शरणार्थियों और भारत में दलाई लामा के करीबी लोगों के ठिकानों पर गहनता से जानकारी जुटा रहा था।
13 सितंबर, 2018 को, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लुओ सांग को भारत में जासूसी कार्यों में संलिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया था और उसके पास से मणिपुर से खरीदे गए एक जाली भारतीय पासपोर्ट को जब्त किया था। पूछताछ के दौरान पता चला कि वह 2013 में भारत में आया और मणिपुर में बस गया। उसने एक भारतीय महिला से शादी की और किराए के घर में रहने लगा। पूर्वोत्तर राज्य में बिताए समय ने लुओ सांग को एक भारतीय पहचान पाने में सक्षम बनाया, जो उसके आगे के कार्य के लिए आवश्यक था।
इसके बाद कुछ साल पहले वह मणिपुर से दिल्ली आ गया था। सूत्रों ने कहा कि लुओ सांग दिल्ली से परिचित था और डीएलएफ फेज-5, गुरुग्राम में शिफ्ट होने से पहले द्वारका में रहता था। यह संदेह है कि उसे सीमा पार से एमएसएस द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था।
दिल्ली में उसने एनसीआर में रहने वाले तिब्बती लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया। अपने जासूसी अभियानों को आगे बढ़ाने के लिए वह मनी एक्सचेंज और हवाला ऑपरेशन में शामिल हो गया। वह ई-कॉमर्स कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के बारे में भी जानकारी एकत्र कर रहा था।
ब उसे 2018 में हिमाचल प्रदेश और सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ संवेदनशील स्थानों पर जाने के संदेह में पकड़ा गया था, तब स्पेशल सेल की टीम ने लुओ सांग के पास एक एसयूवी फॉर्चूनर, विदेशी मुद्रा और कुछ अहम दस्तावेज बरामद किए थे। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत में पेश किए जाने के बाद चीनी एजेंट ने जेल में महीनों बिताने के बाद जमानत हासिल करने के लिए कुछ संपर्कों का इस्तेमाल किया था।
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