दिल्ली में केस के साथ बढ़ रही कंटेनमेट जोन की संख्या, कहीं राज्य और केंद्र की तनातनी तो नहीं भुगत रही जनता!

दिल्ली में कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 163 हो गई है। राजधानी में लगातार कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। इन सबके बावजूद दिल्ली में टेस्टिंग से लेकर तमाम एहतेयाती उपायों की संख्या काफी कम है। इस आपातकालीन हालात में भी दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच तनातनी जारी है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

राष्ट्रीय राजधानी में कंटेनमेंट जोन की संख्या लगातार बढ़ते हुए 160 से ज्यादा हो गई है, जोकि एक रिकार्ड संख्या है। दिल्ली सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार तक राजधानी में कुल 163 कंटेनमेंट जोन थे। हालांकि, कोरोना की शुरुआत के बाद से अब तक कुल 59 जोन को कंटेनमेंट मुक्त भी किया गया है।

गौरतलब है कि दिल्ली में सोमवार तक कंटेनमेंट जोन की संख्या 147 थी। महज दो दिन में संख्या बढ़कर 163 हो गई। राजधानी दिल्ली में लगातार कोरोना मामलों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। इन सबके बावजूद दिल्ली में टेस्टिंग से लेकर तमाम एहतेयाती उपायों की संख्या काफी कम है। इसके अलावा इस आपातकालीन हालात में भी दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच तनातनी जारी है। इस मुश्किल वक्त में भी दोनों सरकारों का एक-दूसरे को निशाने पर लेना जारी है।

इसकी बानगी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन और उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की बैठक में दिखी। बैठक में हर्षवर्धन ने कहा, "दिल्ली में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और इससे मौतों की संख्या भी बढ़ रही है, इसलिए जरूरत है कि तेजी से निगरानी, कांटेक्ट ट्रेसिंग, कठोर नियंत्रण और नियंत्रित गतिविधि के साथ टेस्टिंग करने की गति को बढ़ाया जाए। बढ़ते मामले, पॉजिटिव दर, और कई जिलों में कम टेस्टिंग स्तर चिंताजनक है।"

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने साफ कहा कि दिल्ली में प्रति दस लाख आबादी पर औसत टेस्टिंग 2018 है, तो कुछ जिलों, जैसे उत्तर-पूर्व में प्रति दस लाख आबादी पर 517 टेस्ट और दक्षिण-पूर्व जिले में प्रति दस लाख आबादी पर 506 टेस्ट हुए हैं, जो कि बहुत कम है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, प्रभावी रूप से मामलों का निपटारा करने और मृत्यु दर को कम करने के लिए तत्काल बेहतर क्लिीनिकल प्रबंधन के साथ स्वास्थ्य आधारभूत संरचनाओं को अच्छा बनाकर टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने की जरूरत है।

बैठक में हर्षवर्धन ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए बेडों की उपलब्धता को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है, ताकि बेवजह की देरी को समाप्त किया जा सके। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार की कोविड रोगियों की अस्पताल में भर्ती करने की इच्छा नहीं है जिसकी वजह से महामारी का संक्रमण फैल रहा है और अधिक संख्या में कंटेनमेंट जोन भी सामने आ रहे हैं।

हालांकि दिल्ली सरकार कहना है कि उसने एक एप लांच किया है जो कोविड-अस्पतालों में बेडों की संख्या के बारे में बताएगा। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा कि जब से दिल्ली कोरोना एप की शुरुआत हुई है, लोग विंडो शॉपिंग की तरह कोविड-19 बेड की जानकारी ले रहे हैं, इसमें वास्तविक यूजर्स कम हैं। इस बीच दिल्ली सरकार ने आईसीएमआर जांच नियमों का पालन नहीं करने के लिए राज्य के आठ निजी लैबों को नोटिस भेजा है, जिसमें गंगाराम अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल और एनसीडीसी शामिल हैं।

दिल्ली के उजाला सिग्नस आर्थोकेयर अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के सुचिन बजाज ने कहा, "हम कोरोना महामारी के स्टेज-3 में हैं, कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। इसलिए अगर एक घर में मामले आते हैं, तो इस बात की उम्मीद है कि कई लोग इससे संक्रमित होंगे। इसलिए सरकार ने सेनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग दिशानिर्देशों के साथ कंटेनमेंट जोन को बढ़ाने का फैसला किया है। और कंटेनमेंट जोन में इस माह के अंत तक कोई छूट नहीं होगी।"

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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