उत्तर प्रदेश को लेकर anthro.ai का फाइनल अनुमान: बीजेपी को 41 से 50 सीटों और 6% वोटों का हो सकता है नुकसान
Antrho.ai ने उत्तर प्रदेश के लिए अपने आखिरी अनुमान सामने रख दिए हैं। इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 41 से 50 सीटों तक का नुकसान हो सकता है और उसके हिस्से में 21 से 30 सीटें आ सकती हैं। anthro.ai के आंकलन को हम उन्हीं के शब्दों में यहां पेश कर रहे हैं।
सबसे पहले एक पेशबंदी....हम गलत भी साबित हो सकते हैं। हमने पहली बार एक ऐसा प्रयोग किया जो इससे पहले दुनिया में कहीं नहीं किया गया। हमने ऐसी प्रक्रिया को अपनाया है जिसमें लोगों को प्रेरित करने वाले कारकों और उसके चुनाव पर पड़ने वाले प्रभाव को समझा जा सके। अगर हमारे अनुमान सही निकले तो हम अपने सिस्टम को और मजबूत करते हुए इसे और सटीक बनाने की कोशिश करेंगे, और अगर हम गलत साबित हुए तो हम गलतियों से सीख लेते हुए अपने सिस्टम में जरूरी बदलाव करेंगे।
इस चुनाव के सभी चरणों में हमें लोगों का सहयोग पूरी दुनिया से मिला और हम इसके लिए सबके आभारी हैं।
23 मई को जब लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे सामने आएंगे तो यह भी साफ हो जाएगा कि हम गलत थे या सही। लेकिन, हमें इससे ज्यादा चिंता उन लोगों की है जिनका जीवन इन नतीजों से तय होगा।
बहरहाल उत्तर प्रदेश को लेकर हमारा अनुमान इस तरह है:
उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों के लिए हमारा पक्का और कुछ कम पक्का अनुमान है। हमें लगता है कि एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन को उत्तर प्रदेश में 54 सीटें मिल सकती हैं। इनमें से 8 सीटों पर हमारा अनुमान गलत हो सकता है।
हमारे अनुमान में बीएसपी को 27, समाजवादी पार्टी को 22 और आरएलडी को 2 सीटें मिलने की संभावना है। जिन सीटों पर हमारा अनुमान बहुत पक्का नहीं है उनमें बीएसपी की सीटें ज्यादा हैं।
हमारा मानना है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 21 सीटें मिल सकती हैं, और इनमें 9 और सीटों का इजाफा हो सकता है जो हमने फिलहाल दूसरे दलों के खाते में रखी हैं। इस तरह बीजेपी को 21 से 30 सीटें मिलने की संभावना है।
वहीं कांग्रेस को 4 सीटें मिलने का अनुमान है। साथ ही शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी एक सीट जीत सकती है, हालांकि इस सीट के समाजवादी पार्टी के पास जाने की ज्यादा संभावना दिखती है।
हमारे अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 3-6 फीसदी वोटों का नुकसान होगा, जबकि गठबंधन को 2 से 5 फीसदी वोटों का फायदा होगा।
हमने बीचे 6 माह के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न समुदायों के मुद्दों को काफी करीब से देखा। इनमें से कुछ मुद्दे ज्यादा अहम रूप में सामने आए और चुनावों में प्रभावी रहे। 2014 में उत्तर प्रदेश में सभी जातियों ने उन दलों को वोट दिया जिनको परंपरागत रूप से वे वोट नहीं देते थे। लेकिन 2019 में ऐसा नहीं हुआ और जातीय समीकरणों ने वोटिंग तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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