मध्य प्रदेश में सामने आया एक और व्यापमं घोटाला, 119 फर्जी नियुक्ति के खुलासे के बाद दो कर्मचारी बर्खास्त
दतिया जिले के इस कांड को एक और व्यापमं कहा जा रहा है क्योंकि व्यापमं में तो भर्ती और प्रवेश परीक्षा होती थी, लेकिन परीक्षार्थी की जगह दूसरा परीक्षा देता था या पेपर पहले मिल जाते थे, मगर इसमें न तो परीक्षा हुई, न भर्ती प्रक्रिया चली, लेकिन लोग नौकरी पा गए।
मध्य प्रदेश में एक और व्यापमं घोटाला सामने आया है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग में बगैर भर्ती प्रक्रिया के फर्जी तरीके से नौकरी पाने के बड़े घपले का भंडाफोड़ हुआ है। इसका केंद्र दतिया जिला है। यही कारण है कि इस फर्जीवाड़े में दतिया के स्वास्थ्य विभाग के दो कर्मचारियों की भूमिका पाए जाने पर उन्हें पदच्युत कर दिया गया है। वहीं एक सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी भी घेरे में आए हैं।
यह अपनी तरह का अनोखा मामला है जिसमें न परीक्षा हुई, न भर्ती प्रक्रिया अपनाई गई और न ही स्वास्थ्य विभाग ने किसी तरह के आवेदन मंगाए। बताया गया है कि वर्ष 2010 के आसपास एक जालसाज गिरोह ने मिलकर स्वास्थ्य विभाग की तबादला सूची में ऐसे लोगों के नाम जुड़वा दिए जो सेवारत थे ही नहीं। इसका लाभ उठाते हुए बाहरी लोगों ने स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं ज्वाइन भी कर ली।
चूंकि सेवा पुस्तिका एक स्थान से दूसरे स्थान तक आने में कई बार महिनों का वक्त लग जाता है, इसका लाभ उठाते हुए फर्जी अंतिम वेतन पर्ची (एलपीसी) के जरिए वेतन का आहरण भी शुरु करा लिया। इतना ही नहीं बाद में फर्जी नियुक्ति पत्र और एंप्लाइड कोड भी तैयार कर लिया गया।
सूत्रों का कहना है कि जब सेवा पुस्तिकाएं नहीं आईं और मामले ने तूल पकड़ा तो इसकी जांच के लिए समिति बनाई गई। इस समिति की जांच में 119 संदिग्धों को चिन्हिंत किया गया। इनमें से 13 को बर्खास्त किया गया, 22 संदिग्धों की सेवाएं शून्य की गईं। इसके अलावा 12 संदिग्धों पर कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।
स्वास्थ्य विभाग ने इस भर्ती घोटाले का केंद्र दतिया को माना है और यहां के तीन कर्मचारी इसकी चपेट में आए हैं। एक तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि दो कार्यरत हैं और उनको पदच्युत कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त सुदाम खाडे ने दतिया के स्वास्थ्य विभाग के दो कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से पदच्युत करने के आदेश जारी किए हैं।
इस फर्जी नियुक्ति कांड को एक और व्यापमं कहा जा रहा है क्योंकि व्यापम में तो भर्ती और प्रवेश परीक्षा होती थी, उसमें परीक्षार्थी की जगह दूसरा व्यक्ति परीक्षा देता था अथवा प्रश्नपत्र पहले ही मिल जाते थे, मगर इसमें न तो परीक्षा हुई, न भर्ती प्रक्रिया चली, लेकिन लोग नौकरी पा गए।
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