दिल्ली में एक और मंकीपॉक्स का संदिग्ध केस आया सामने, कई राज्यों में अलर्ट जारी, ये हैं लक्षण, रहें सावधान!
देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और संदिग्ध मरीज सामने आया है। उसे एलएनजीपी में भर्ती कराया गया है। मरीज की त्वचा पर घाव के साथ तेज बुखार भी है।
देश में मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ने लगा है। दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और संदिग्ध केस मिला है। मरीज को दिल्ली के LNJP अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खबरों के मुताबिक, व्यक्ति के शरीर में चकत्ते, घाव और तेज बुखार जैसे लक्षण मिले हैं। मरीज का सैंपल जांच के लिए भेज गया है और रिपोर्ट का इंतजार है। बताया जा रहा है कि संदिग्ध मरीज विदेश की यात्रा करके लौटा है। बता दें देश में मंकीपॉक्स के कुल चार केस सामने आ चुके हैं।
दिल्ली में बीते दिनों एक मरीज आया था सामने
गौरतलब है कि मंकीपॉक्स के अभी देश में चार केस मिले हैं। इनमें से तीन केरल और 1 दिल्ली में मिला है। बीते दिनों दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था। मरीज को बुखार और त्वचा के घावों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, लोग तब हैरान रह गए जब पता चला कि संक्रमित शख्स की ट्रैवल हिस्ट्री विदेश की नहीं है।
मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट पर मोड पर कई राज्य
देश के कई राज्य मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट मोड में है। केरल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित कई राज्यों ने भी मंकीपॉक्स को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर कई राज्य सरकारों ने अलर्ट जारी किया है। पटना में एक संदिग्ध मरीज मिलने के बाद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सभी जिलों के सिविल सर्जन एवं मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के साथ वर्चुअल बैठक कर मंकीपॉक्स को लेकर आवश्यक निर्देश दिए हैं। अगर किसी मरीज में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसके आधार पर तुरंत ही इलाज शुरू कर दिया जाएगा।
मंकी पॉक्स संक्रमण के क्या लक्षण हो सकते हैं?
WHO के मुताबिक मंकी पॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है।
संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है। इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।
मंकी पॉक्स से बचने के उपाय
मंकी पॉक्स का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।
मंकी पॉक्स के लक्षण जैसे स्कीन में रैशेज हो तो, दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
जिस व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी चादर, तौलिया या कपड़ों जैसी पर्सनल चीजों का इंस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
बार-बार अपने हाथों को साबुन या फिर सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
मंकी पॉक्स के लक्षण दिखते ही घर के एक कमरे में अकेले रहें।
अपने पालतू जानवरों से भी दूरी बनाकर रखने की जरूरत है।
मंकी पॉक्स संक्रमण के क्या कारण हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकी पॉक्स नामक वायरस के कारण यह संक्रमण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस समूह से संबंधित है। इस समूह के अन्य सदस्य मनुष्यों में चेचक और काउपॉक्स जैसे संक्रमण का कारण बनते हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मंकी पॉक्स के एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं। संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स, संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के घावों या संक्रमित के निकट संपर्क में आने के कारण दूसरे लोगों में भी संक्रमण होने की आशंका रहती है।
क्या है गाइडलाइन ?
विदेश से आए लोग बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क में न आएं। खासकर त्वचा व जननांग में घाव वाले लोगों से दूर रहें।
बंदर, चूहे, छछुंदर, वानर प्रजाति के अन्य जीवों से दूर रहें।
मृत या जीवित जंगली जानवरों और अन्य लोगों के संपर्क में आने से भी बचे।
मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है। इसमें बुखार के साथ शरीर पर रेशेस आते हैं।
इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं।
यह वायरस मुख्यतया मध्य और पश्चिम अफ्रीका में होता है। 2003 में मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आया था।
जंगली जीवों का मांस नहीं खाने और अफ्रीका के जंगली जानवरों से प्राप्त उत्पाद जिनमें क्रीम, लोशन, पाउडर शामिल से नहीं करने की सलाह दी गई है।
बीमार लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दूषित सामग्री जैसे कपड़े, बिस्तर आदि के संपर्क में न आएं।
देश में आगमन के हर प्वाइंट पर संदिग्ध मरीजों की जांच, लक्षण वाले और बिना लक्षण के मरीजों की टेस्टिंग, ट्रेसिंग और सर्विलांस टीम का गठन किया जाए।
अस्पतालों में मेडिकल तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज और क्लिनिकल मैनेजमेंट हो।
सभी संदिग्ध मामलों की टेस्टिंग और स्क्रीनिंग एंट्री प्वाइंट्स और कम्युनिटी में की जाएगी
आइसोलेशन में रखे गए मरीज के जब तक सभी घाव ठीक नहीं होते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती है को छुट्टी न दी जाए।
मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों के प्रबंधन के लिए चिन्हित अस्पतालों में पर्याप्त मानव संसाधन और रसद सहायता सुनिश्चित की जाए।
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