मोदी सरकार के खिलाफ 30 जनवरी से आमरण अनशन पर अन्ना हजारे, बोले- ‘मेरे पास राफेल से जुड़े कई दस्तावेज़’
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 30 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर लोकपाल कानून लागू होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं हुआ होता।
केंद्र की मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार रोधी कानून लागू नहीं करने और किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे एक बार फिर आमरण अनशन करने जा रहे हैं। सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में राफेल डील पर सवाल उठाते हुए अन्ना हजारे ने ऐलान किया कि वह 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में भूख हड़ताल करेंगे और सरकार द्वारा मांगें पूरी होने तक इसे जारी रखेंगे।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लोकपाल कानून को लागू नहीं करने पर मोदी सरकार की निंदा करते हुए कहा कि देश पर तानाशाही लागू होने का खतरा मंडरा रहा है। हजारे ने कहा कि अगर लोकपाल हो गया होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि उनके पास राफेल से जुड़े कई कागजात हैं और वह दो दिन उनका अध्ययन करने के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस कर कई खुलासे करेंगे। हजारे ने कहा, “मुझे यह बात समझ नहीं आती कि समझौते से एक महीने पहले बनी किसी कंपनी को सौदे में सहयोगी कैसे बनाया गया।”
अन्ना हजारे ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार ने लिखित में कहा था कि वह लोकपाल कानून पारित करेगी और किसानों को पेंशन के साथ ही डेढ गुना अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हजारे ने कहा कि किसी संवैधानिक संस्था का आदेश लागू नहीं करना देश को लोकतंत्र से तानाशाही की ओर ले जाता है और यह सरकार भी ऐसा ही कर रही है। उन्होंने अपने समर्थकों से रालेगण सिद्धि में जुटने की बजाय अपने-अपने शहरों में भूख हड़ताल करने को कहा है। अन्ना हजारे को राष्ट्रीय किसान महापंचायत ने समर्थन दिया है और संगठन ने ऐलान किया है कि देशभर के किसान संगठन भूख हड़ताल में शामिल होंगे।
बता दें कि लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे की यह तीसरी भूख हड़ताल होगी। सबसे पहले वह कई सिविल सोसायटी समूहों के साथ अप्रैल 2011 में पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। उसके बाद पिछले साल मार्च में भी अन्ना हजारे और उनके समर्थकों ने लोकपाल कानून लागू करने की मांग को लेकर एक सप्ताह भूख हड़ताल की थी।
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