26 दिन की हिंसा के बाद अमित शाह का मणिपुर दौरा सिर्फ 'नाटक' और आंख में धूल झोंकने जैसा: मणिपुर कांग्रेस

मणिपुर हिंसा के शिकार लोगों के लिए मुआवजे के केंद्र सरकार के ऐलान को कांग्रेस ने 'नाटक' करार दिया है। मणिपुर कांग्रेस प्रमुख कीशम मेघचंद्र ने कहा है कि यह कदम आंख में धूल झोकने जैसा है। उन्होंने कहा कि शांति बहाली के लिए व्यापक नीति सामने आनी चाहिए।

मणिपुर की राजधानी इम्फाल समेत राज्य के हिंसाग्रस्त इलाकों में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं (फोटो - आईएएनएस)
मणिपुर की राजधानी इम्फाल समेत राज्य के हिंसाग्रस्त इलाकों में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं (फोटो - आईएएनएस)
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नवजीवन डेस्क

“हिंसा से धधक रहे मणिपुर के लिए केंद्र द्वारा घोषित मुआवजे का पैकेज सिर्फ एक नाटक है और यह सिर्फ आंखों में धूल झोंकने जैसा काम है।“ भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद अशांत मणिपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा को सिर्फ नाटक करार देते हुए यह बात मणिपुर कांग्रेस कमेटी प्रमुख कीशम मेघचंद्र सिंह कही।

केंद्र सरकार ने मणिपुर में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए मंगलवार को 10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। यह घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हिंसाग्रस्त चुराचांदपुर जिले के दौरे पर की है। मणिपुर का यही जिला कुकी और मैतेई के बीच जातीय संघर्ष का केंद्र रहा है।

मणिपुर के हालात पर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है। इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल मणिपुर कांग्रेस प्रमुख कीशम मेघचंद्र सिंह ने नेशनल हेराल्ड से बात करते हुए कहा, “जब तक शांति बहाल नहीं हो जाती, तब तक किसी भी मंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री के दौरे का भी कोई अर्थ नहीं है।”

उन्होंने कहा कि 3 मई की हिंसा के बाद से राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच अविश्वास और गहरा हो गया है, ऐसे में केंद्र को मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए अस्थायी समाधान के बजाय एक नीति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि, “आखिर केंद्र सरकार ने मणिपुर पर कोई भी कदम उठाने में इतना समय क्यों लगाया? मणिपुर सिर्फ 37 लाख आबादी वाला छोटा राज्य है, ऐसे में अगर केंद्र ने समय रहते कदम उठाया होता तो अब तक हालात सामान्य हो गए होते।”

मेघचंद्र ने कहा कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार दोनों ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाने दिया। उन्होंने कहा कि, "आज भी जब अमित शाह राज्य का दौरा कर रहे थे, तो भी लोगों ने मुझे फोन कर बताया कि कुकी उग्रवादियों ने उन पर हमला किया है।" मेघचंद्र को लगता है कि कि म्यांमार के कुकी उग्रवादी ने राज्य में हिंसा फैलाने और मैतेई समुदाय को निशाना बनाने के लिए अत्याधुनिक हथियारों के साथ सीमा पार कर मणिपुर में घुसे हैं।


इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।

कांग्रेस का कहना है कि, "हिंसा के शुरुआती चरणों में स्थिति संभालने में कई खामियां थीं।" कांग्रेस ने पूरी स्थिति की सुप्रीम कोर्ट के एक सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कुछ सुझाव दिए हैं:

  •  केंद्र सरकार को तुरंत सभी आतंकवादी समूहों को नियंत्रित करने और उन पर कार्रवाई करने के सभी संभव उपाय करने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी सशस्त्र नागरिक समूहों को उचित कार्रवाई करके तत्काल रोका जाए।

  • राज्य सरकार तुरंत सभी राहत शिविरों का प्रबंधन और रखरखाव अपने हाथ में ले और सभी के लिए उचित स्वास्थ्य और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।

कांग्रेस ने राहत शिविरों में राहत सामग्री वितरण में अव्यवस्था के लिए मणिपुर की बीरेन सिंह सरकार पर हमला करते हुए कहा कि, "कांग्रेस एक जिम्मेदार विपक्षी दल के रूप में मणिपुर में शांति, सामान्य स्थिति और सद्भाव बहाल करने के लिए किसी भी पहल का समर्थन करने के लिए तैयार है।"

गौरतलब है कि एक अनुमान के मुताबिक 3 मई को आयोजित "आदिवासी एकजुटता मार्च" के बाद से मणिपुर में भड़के जातीय संघर्षों में अब तक 75 से अधिक लोग मारे गए हैं। एकजुटता मार्च का आयोजन मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में किया गया था। इसके बाद कुछ समय के लिए हिंसा रुक गई थी लेकिन मणिपुर के कई हिस्सों में 28 मई को फिर से हिंसा भड़क उठी। माना जा रहा है कि आधुनिक हथियारों से लैस तथाकथित कुकी उग्रवादियों ने होकर सेरौ और सुगनु इलाकों में कई घरों में आग लगा दी।

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