किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच कांग्रेस सांसद ने पीआईएल दायर कर कृषि कानूनों को दी चुनौती
केरल से कांग्रेस सांसद टीएन प्रथापन ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कृषि बिल को चुनौती दी है। याचिका में दलील दी गई है कि एपीएमसी के बिना किसान बिना सुरक्षा कवच के हो जाएंगे और बाजार बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट घरानों के लालच में पड़ जाएगा।
देश भर में कृषि बिल के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच केरल से कांग्रेस सांसद टीएन प्रथापन ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें उन्होंने संसद से हाल ही में पास हुए कृषि से जुड़े तीन विधेयकों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके बाद अब ये बिल कानून का रूप ले चुके हैं।
प्रथापन ने अपनी याचिका में कहा है कि कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के खिलाफ है।
याचिका में दलील दी गई है कि कृषि उपज विपनन समिति (एपीएमसी) के बिना किसान बिना सुरक्षा कवच के हो जाएंगे और बाजार बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट घरानों के लालच में पड़ जाएगा। ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां अधिक लाभ कमाना चाहते हैं और गरीबों को इन्हें कोई परवाह नहीं है जो अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर रहते हैं।
अधिवक्ता जेम्स पी थॉमस के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि एपीएमसी से किसानों का शोषण रोकने में मदद मिली है। एपीएमसी ये सुनिश्चित करती है कि कोई किसान मंडी से खाली हाथ नहीं लौटेगा।
याचिका में प्रथापन ने कहा, "समझौतों को बढ़ावा देने के लिए की गई फार्मिग से किसानों को अपनी उपज के सही दाम नहीं मिल पाएंगे।"
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि शीर्ष अदालत कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून की धारा 2, 3, 4, 5, 6, 7, 13, 14, 18 और 19 को अवैध ठहराए।
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