विवादों के बीच आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की ट्रेनिंग रद्द, मसूरी एकेडमी में वापस बुलाया गया
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गदरे द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अकादमी ने खेडकर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित करने का निर्णय लिया है तथा आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए उन्हें तत्काल वापस बुला लिया है।
महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। विवादास्पद आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। पूजा को 23 जुलाई तक लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में रिपोर्ट करने को कहा गया है। महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
खेडकर (34) सिविल सेवा परीक्षा में चुने जाने के लिए कपटपूर्ण तरीके का इस्तेमाल करने के आरोपों का सामना कर रही हैं। उन्होंने खुद को कथित तौर पर शारीरिक रूप से दिव्यांग और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय का बताया था। खेडकर पर पुणे में तैनाती के दौरान विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने का भी आरोप है।
अधिकारी ने बताया कि अकादमी ने आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए उन्हें वापस बुलाने का फैसला किया है।
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गदरे द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अकादमी ने खेडकर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित करने का निर्णय लिया है तथा आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए उन्हें तत्काल वापस बुला लिया है।
पत्र में कहा गया, ‘‘आपको (खेडकर) महाराष्ट्र सरकार के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम से मुक्त किया जाता है। आपको किसी भी परिस्थिति में 23 जुलाई 2024 से पहले अकादमी में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया जाता है।’’
दरअसल, पूजा खेडकर को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। आरोप है कि पूजा खेडकर ने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का प्रमाण पत्र जमा करके यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लिया था। उसके आधार पर विशेष रियायतें पाकर पूजा आईएएस बनने में कामयाब रहीं। पूजा को अगर इन रियायतों का साथ न मिलता तो तो वो आईएएस बनने में कामयाब नहीं होतीं, क्योंकि उनके अंक उतने नहीं थे। पूजा पर आरोप है कि चयन के बाद उन्हें मेडिकल जांच से गुजरना था, लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया। पूजा ने विभिन्न कारणों से छह बार मेडिकल परीक्षण से इनकार कर दिया। बाद में बाहरी मेडिकल एजेंसी से एमआरआई रिपोर्ट जमा करने का विकल्प चुना, जिसे यूपीएससी ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि बाद में यूपीएससी ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। इसके चलते सरकार से इसकी जांच की मांग की जा रही है।
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