इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को दिया बड़ा झटका, कहा- 16 मार्च तक हट जाएं वसूली के सभी पोस्टर

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया है। लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए थे।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया है। लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए थे।

चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि लखनऊ के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर 16 मार्च तक होर्डिंग्स हटवाएं। साथ ही इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को दें। हाई कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को हलफनामा भी दाखिल करने का आदेश दिया गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने होर्डिंग मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले से जुड़ा है, जिसके तहत राजधानी लखनऊ में बीते गुरुवार कुछ होर्डिंग्स लगा दिए गए थे। इन होर्डिंग्स में 53 लोगों के नाम, उनकी तस्वीर और पता दर्ज है। पूर्व आईपीएस अफसर एस.आर. दारापुरीऔर सामाजिक कार्यकर्ता और अभिनेत्री सदफ जफर का भी इसमें नाम है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रविवार को एक विशेष बैठक में लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए‌) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपी व्यक्तियों की तस्वीर और विवरणों वाले बैनर लगाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों की खिंचाई की । मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की पीठ ने कहा कि कथित सीएए प्रोटेस्टर्स के पोस्टर लगाने की राज्य की कार्रवाई "अत्यधिक अन्यायपूर्ण" है और यह संबंधित व्यक्तियों की पूर्ण स्वतंत्रता पर एक "अतिक्रमण" है।


लखनऊ प्रशासन और पुलिस के मुताबिक, यह लोग पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल थे और प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान की इन लोगों से भरपाई के लिए यह होर्डिंग लगाया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन होर्डिंग्स को सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद वहां लगाया गया है।

लखनऊ में CAA का विरोध करने वालों में पूर्व आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा होर्डिंग मामले का स्वतः संज्ञान लेने का स्वागत किया है। दारापुरी ने कहा कि शहर में होर्डिंग लगाया जाना उनकी निजता, सम्मान और नागरिकों की आजादी के अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा, 'इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा की गई कार्यवाही का मैं स्वागत करता हूं। जिस तरह का व्यवहार राज्य सरकार कर रही है और हमारे होर्डिंग लगा रही है, न्यायपालिका द्वारा इसका संज्ञान लिया जाना एक स्वागत योग्य कदम है।'


उन्होंने आगे कहा, 'हमारे केस में हमारी फोटोग्राफ ली गई है। मुझे नहीं पता तस्वीरें कहां से ली गई हैं। ये गैरकानूनी है और उन्होंने इसे होर्डिंग्स पर लगा दिया। ये हमारी निजता का उल्लंघन है और इससे हमारी जिंदगी और हमारी स्वतंत्रता को खतरा है। मैं इसके लिए राज्य को जिम्मेदार मानता हूं।’

वहीं सदफ जफर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट फैसले के बारे में ट्वीट कर कहा है । साथ ही उन्होंने अपने पोस्ट में हैजटैग सत्यमेव जयते और हैजटैग लॉन्ग लिव कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया भी डाला है।

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