सबरीमाला: कानून पर आस्था भारी, महिलाओं के प्रवेश पर विरोध जारी, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऑल केरल ब्राह्मण एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इस याचिका में कहा गया है कि 28 सितंबर को आया फैसला पूरी तरह से तर्कहीन है और फिर से अपने फैसले पर विचार करना चाहिए।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

केरल के सबसे प्रसिद्ध सबरीमाला अयप्पा स्वामी मंदिर के द्वार सभी उम्र की महिलाओं के लिए खोलने पर जारी विरोध बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के रिव्‍यू के लिए ऑल केरल ब्राह्मण एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उन्‍होंने अपनी याचिका में कहा है कि कोर्ट के फैसले में गंभीर त्रुटियां हैं जिसके परिणामस्‍वरूप अयप्‍पा के असली भक्‍तों के साथ घोर अन्‍याय हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिए जाने के विरोध में कई हिन्दू संगठनों ने केरल बंद बुलाया है। राज्य में सिर्फ इक्का-दुक्का वाहन चलते दिखाई दे रहे हैं। यह बंद बुधवार को प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के हमले को लेकर बुलाया गया है।

प्रदर्शनकारी 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं के भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश को मंजूरी मिलने देने का विरोध कर रहे थे। कोझीकोड, मलप्पुरम औरक यहां के कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने केरल राज्य सड़क परिवहन निगम के बसों पर पथराव किया, जिसके बाद उनका संचालन रोक दिया गया। इसके अलावा आज दुकानें और बाजार भी बंद है। बंद का असर रेल यात्रियों पर पड़ रहा है। उन्हें स्टेशनों से टैक्सी और सार्वजनिक वाहनों पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

एहतियात के तौर पर प्रशासन की तरफ से सन्नीधानम, पंबा, निलक्कल और ईलावुंगल में धारा 144 लगा दी गई है।

बुधवार को मंदिर के कपाट खुलने के बाद महिलाओं को इसमें प्रवेश नहीं करने दिया गया। पंबा की पहाड़ी चढ़कर मंदिर में प्रवेश की कोशिश कर रहीं न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार सुहासिनी राज और उनके साथी को प्रदर्शनकारियों ने वापस भेज दिया। सुहासिनी राज और उनका साथी रिपोर्टिंग के लिए मंदिर की तरफ जा रहे थे।

वहीं मंदिर के मुख्य पुजारी कंदारारू राजीवारू ने कहा है कि वे पुरानी मान्यताओं और परंपराओं को बरकरार रखने के हक में हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ कानून के नजरिए ये देख रहा है। न्यायालय रीति-रिवाजों और मान्यताओं पर नहीं सोच रहा है। श्रद्धालु चाहते हैं कि पुरानी मान्यताएं जारी रहें और मेरी राय भी पुरानी मान्यताओं के साथ है।

बुधवार को सबरीमाला मंदिर के कपाट खुलने के बाद से ही महिलाओं के प्रवेश का कड़ा विरोध किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सुनाए फैसले में मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी थी, लेकिन इसके बावजूद कई संगठन और लोग इसका विरोध कर रहे हैं। आदेश के बाद जब बुधवार को मंदिर के कपाट खोले गए तो प्रदर्शनकारियों ने सालों पुराने रिवाज का हवाला देते हुए महिलाओं को मंदिर में नहीं जाने दिया। बुधवार को एक भी महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी। इसके बाद सबरीमाला प्रोटेक्शन कमेटी ने केरल में 12 घंटे बंद का ऐलान किया है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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