अजित पवार ने एनसीपी छोड़ने की अफवाहों पर लगाया ब्रेक, कहा- मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी कर रही झूठा प्रचार
एनसीपी नेता अजित पवार ने इस बात से साफ इनकार किया है कि वे बीजेपी के साथ जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह बीजेपी का प्रचार है।
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार ने उन खबरों का मजबूती के साथ खंडन किया है जिनमें उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं।
मुंबई स्थित विधान भवन में अपने दफ्तर में नेशनल हेरल्ड से बातचीत में अजित पवार ने सभी कयासों को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि यह सिर्फ विपक्षी एकता को तोड़ने का अभियान है। उन्होंने कहा कि इन अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है कि वे एनसीपी से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ जा रहे हैं। ऐसी खबरों पर कि अजित पवार के साथ एनसीपी के 40 विधायक भी पार्टी छोड़ने वाले हैं, अजित पवार ने कहा कि पार्टी के लोगों के साथ उनकी मुलाकातों और बैठकों का लोग कुछ भी अर्थ निकाल लेते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक नियमित प्रक्रिया है एनसीपी के कई विधायक उनसे विधान भवन के उनके दफ्तर में मिलते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी किस्म की साजिश रची जा रही है।
अजित पवार ने कहा कि, “कई कामों के लिए विधायक उनके पास आते रहते हैं। अब क्या मुझे एफिडेविट देना पड़ेगा कि मैं एनसीपी में ही हूं? मैंने किसी विधायक के कोई हस्ताक्षर नहीं लिए हैं और न ही मैं बीजेपी से हाथ मिलाने जा रहा हूं। हम सभी एनसीपी के वफादार कार्यकर्ता हैं। अब इसके बाद सभी किस्म की अफवाहों पर ब्रेक लग जाना चाहिए।”
बता दें कि एक दो दिन से इस किस्म की अफवाहें तेज थीं कि जिस तरह एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों को लेकर शिवसेना से अलग हुए थे, उसी तरह अजित पवार भी एनसीपी विधायकों को लेकर पार्टी छोड़ने वाले हैं। इन अफवाहों को पंख उन रिपोर्टों के बाद अधिक लगे जिनमें कहा गया था कि केंद्रीय एजेंसिया महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से अजित पवार के लेनदेन से जुड़े कुछ मामलों में जांच कर रही हैं। लेकिन अजित पवार ने साफ कहा, “केंद्रीय एजेंसियां मेरे बारे में और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के बारे में जानकारी लेती रही हैं, और मैं कानूनी तौर पर इनका जवाब भी देता रहा हूं। केंद्रीय एजेंसियों द्वारा पूरे देश में विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने की यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। हर किसी को किसी न किसी मामले में सवालों का सामना करना पड़ रहा है, उसी तरह मेरे बारे में भी ऐसी बातें हो रही हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि वह एनसीपी छोड़ देंगे या महाविकास अघाड़ी से अलग होकर अपने अंकल शरद पवार का साथ छोड़ देंगे।
अजित पवार ने बाद में सार्वजनिक तौर पर मीडिया के सामने आकर कहा कि वे मजबूती के साथ पार्टी प्रमुख शरद पवार के साथ हैं और उनके नेतृत्व का अनुसरण करते रहेंगे। उन्होंने कहा, “लोगों को पार्टी द्वारा लिए गए फैसलों को देखना चाहिए, न कि अफवाहैं फैलाकर पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को गुमराह करने की कोशिश। यह बरदाश्त नीं किया जाएगा क्योंकि पार्टी कार्यकर्ता ही पार्टी की जान हैं और उन्हें दिग्भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। अगर मैं पार्टी छोड़ने का इरादा करूंगा तो सबसे पहले मैं ही इस बात की घोषणा करूंगा।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी प्रमुख शरद पवार ने भी इस अफवाह का खंडन किया है कि उनका भतीजा पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा रहा है। गौरतलब है कि शरद पवार ने भी कहा था कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि अजित पवार बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। शरद पवार ने कहा था, “अजित पवार ने कोई विशेष मीटिंग (पार्टी तोड़ने के लिए विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए) नहीं बुलाई थी। अजित पवार पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं और एनसीपी जितनी मेरी पार्टी है, उतनी ही उनकी भी पार्टी है।”
अजित पवार ने मीडिया से कहा कि बीजेपी जानबूझकर उनके पार्टी छोड़ने की अफवाहें फैलाती है ताकि किसानों के अमह मुद्दे से ध्यान भटकाया जा सके। ध्यान रहे कि महा विकास अघाड़ी पूरे महाराष्ट्र में राज्य स्तर के और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की नाकामी के खाफ वज्रमुथ रैलियां कर रही है।
अजित पवार ने कहा कि, “हम ऐसी रैलियां जारी रखेंगे और हमें शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।” ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आशंका में ही बीजेपी इस किस्म की अफवाहें फैला रही है।
महा विकास अघाड़ी की रैलियों को लेकर भी कई तरह की बातें की जा रही हैं कि आखिर इन रैलियों में कुछ नेताओं को बोलने क्यों नहीं दिया जा रहा है। इस पर अजित पवार ने कहा, “यह हमारा साझा फैसला है कि इन रैलियों में कौन बोलेगा और कौन नहीं बोलेगा, हमारा ध्यान इस बात पर है कि इन रैलियों में हम क्या कह रहे हैं। हम इन रैलियों में अलग-अलग नेताओं को बोलने के लिए सामने ला रहे हैं, न कि कुछ गिने-चुने नेताओं को ही बार-बार सामने रख रहे हैं। इन रैलियों को लेकर अनावश्यक प्रचार करने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना और एनसीपी एकसाथ हैं और आने वाले चुनावों में मिलकर ही मैदान में उतरेंगे।
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