बाबरी की बरसी पर अयोध्या फैसले की समीक्षा के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की समीक्षा याचिका

यह महज इत्तिफाक ही कहा जा सकता है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में पुनर्विचार याचिका 6 दिसंबर को फाइल की है। 6 दिसंबर को ही बाबरी मस्जिद गिराए जाने की 27वीं बरसी है।

फोटो : आईएएनएस
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नवजीवन डेस्क

अयोध्या के भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया था, जिसके तहत अयोध्या की विवादित जमीन मंदिर के लिए दे दी गई थी और मुस्लिम पक्ष को अलग से 5 एकड़ जगह मस्जिद बनाने के लिए देने का आदेश दिया गया था। इस मामले की समीक्षाकी याचिका दायर करने का शुक्रवार (6 दिसंबर को) आखिरी दिन था। पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुक ने बताया कि, “हमने शुक्रवार को समीक्षा याचिका दायर कर दी है। इस बारे में हमने पिछले सप्ताह फैसला लिया था। यह सिर्फ इत्तिफाक है कि आज 6 दिसंबर है। और इस मामले में राजीव धवन ही हमारे वकील होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।”

कमाल फारूकी ने बताया कि जब 2 दिसंबर को यह खबर आई कि एजाज़ मकबूल ने जमीयत उलेमाए हिंद के वकील की हैसियत से राजीव धवन को हटा दिया है, उस समय भी राजीव धवन हमारे वकील थे। ध्यान रहे कि यह खबर आने के बाद राजीव धवन ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि बिना किसी बातचीत के उन्हें हटा दिया गया है और वे इसे स्वीकार करते हैं। लेकिन बात में जमीयत ने साफ किया कि राजीव धवन मुस्लिम पक्ष की नुमाइंदगी करेंगे और जो गलतफहमी हुई है इसके लिए वे एक माफी जारी करेंगे।

पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने वकील एम आर शमशाद और शकील अहमद सैयद की द्वारा अपील फाइल की है और राजीव धवन और जफरयाब जीलानी ने इसे दुरुस्त किया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर, 2019 के फैसले की समीक्षा करने की अपील की गई है।


ध्यान रहे कि 6 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस से जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओं की उत्तेजक भीड़ ने अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी ने इसका आव्हान किया था, जिसके बाद उग्र भीड़ ने देखते-देखते 16वीं शताब्दी की मस्जिद को जमींदोज़ कर दिया था। इन लोगों का दावा था कि भगवान राम का जन्म इसी स्थान पर हुआ था जहां बाबरी मस्जिद थी। इस विध्वंस के बाद हुए देशव्यापी दंगों में 2000 ज्यादा लोग मारे गए थे।

बरसों तक चले मुकदमे के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को इस मामले में फैसला सुना दिया था। इस फैसले के बाद बाबरी मस्जिद गिराए जाने की पहली बरसी के मद्देनजर अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए थे। साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस को चौकस रहने के निर्देश दिए गए थे। अयोध्या में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आशीष तिवारी ने बताया कि, “अयोध्या में कई जगह बैरिकेडिंग की गई है और 269 चौकियां बनाई गई हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को होने से रोका जा सके।” उन्होंने बताया कि एहतियातन 305 लोगों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। उन्होंने पुलिस की तरफ से शांति की अपील की।

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