एम्स में मास्क और अन्य सुरक्षा पर सवाल उठाने की डॉक्टर को मिली सजा, एसोसिएशन ने निकाला बाहर

डॉ श्रीनिवास ने कहा कि एम्स में रहने और काम करने वाले रेजिडेंट डॉक्टर्स पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, तो बाहर से संक्रमण कैसे मुमकिन है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई असंवैधानिक है। उन्होंने मांग की है कि एम्स मीडिया के सामने साबित करे कि N95 मास्क सुरक्षित हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली स्थित देश के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स में सप्लाई किए गए N95 मास्क की क्वॉलिटी और अन्य सुरक्षा सुविधाओं पर सवाल उठाने वाले अस्पताल के डॉक्टर श्रीनिवास राजकुमार को रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी पद से हटाने के साथ ही एसोसिएशन से भी बाहर कर दिया गया है। एसोसिएशन का आरोप है कि डॉ श्रीनिवास ने मीडिया में गलत बयानबाजी की है, जिसके बाद दो तिहाई सदस्यों की सहमति से उन्हें पद से हटाया गया है।

इस बारे में फिट से बातचीत में डॉ. श्रीनिवास राजकुमार ने कहा कि एम्स प्रशासन मेरे आरोपों को सीधे तौर पर नहीं नकार रहा है। वे बस घूमा-फिराकर बात कर रहे हैं, लेकिन वो इसे नकार नहीं रहे। मैंने सिर्फ पीपीई किट, N95 मास्क का मुद्दा नहीं उठाया है। मैंने क्वारंटीन प्रोटोकॉल, हॉस्टल, मेस, सैनिटेशन आदि सबका मुद्दा उठाया है। ये सभी यहां के स्वास्थ्यकर्मियों के संक्रमित होने के कारण हैं। उनका कहना है कि अस्पताल के स्टाफ में 95% संक्रमण बाहर से हुआ, लेकिन इसे वे कैसे साबित करेंगे?” श्रीनिवास ने आरोप लगाया कि सवाल उठाने पर कार्रवाई की धमकी दी जाती है।

25 मई के श्रीनिवास के उस ट्वीट को लेकर आज उन्हें शो-कॉज नोटिस भी जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने क्वॉलिटी पर सवाल उठाए थे। डॉ. श्रीनिवास ने ट्वीट में भारत में N95 मास्क की क्वॉलिटी पर सवाल उठाते हुए आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय को टैग किया था। उन्होंने लिखा था, “स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर द्वारा दावा किए गए N95 मास्क के आंकड़े झूठ हैं। भारत में N95 के साथ प्रमुख मुद्दा गुणवत्ता और मानकीकरण का है। यदि आप पत्रकार हैं और लीड की तलाश कर रहे हैं, तो मुझे डीएम करें।”

आज जारी कारण बताओ नेटिस के बाद भी डॉ. श्रीनिवास N95 की क्वॉलिटी को लेकर अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि N95 मास्क को 5 दिन तक यूज करना भारत में सही नहीं है। 15-20 दिन में एक मास्क मिलता है। कोविड एरिया के लिए तो हेल्थ केयर वर्कर्स को मास्क दिया जा रहा है लेकिन बाकी जगहों के लिए N95 मास्क नहीं दिए जा रहे हैं या फिर खराब मास्क दिए जा रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “एम्स में रहने और काम करने वाले रेसिडेंट डॉक्टर्स पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, तो बाहर से संक्रमण कैसे मुमकिन है। उन्होंने कहा कि “मेरे खिलाफ कार्रवाई गैर-संवैधानिक है। मुझे उम्मीद है कि मुझे रेसिडेंट्स डॉक्टर्स का साथ मिलेगा। एम्स मीडिया के सामने ये टेस्ट डेमोंस्ट्रेट करके दिखाए कि उनके मास्क बिल्कुल सुरक्षित हैं।”

बता दें, कि डॉ श्रीनिवास के आरोप के तूल पकड़ने के बाद एम्स ने सफाई जारी किया था, जिसमें कहा था कि “COVID-19 पॉजिटिव पाए गए 95% से ज्यादा कर्मचारियों के विस्तृत मूल्यांकन के आधार पर कहा जा सकता है कि मरीजों की देखभाल करने से ये ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। इनमें से एक बड़ा हिस्सा कंटेनमेंट जोन से है। COVID-19 को लेकर सभी स्टाफ को इन्फेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिस की ट्रेनिंग दी गई है।”

गौरतलब है कि अप्रैल में एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने पीएम मोदी को एक लेटर लिखा था, जिसमें एसोसिएशन ने अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों, डॉक्टरों, नर्सों द्वारा पीपीई किट और क्वारंटीन सुविधा का मुद्दा उठाने पर एम्स प्रशासन की तरफ से प्रताड़ना और सजा के बारे में सूचित किया था और उनसे उसे रद्द करने की अपील की थी।

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