बिहार में बड़े शहरों के बाद छोटे शहरों में पांव पसार रहा कोरोना, 38 में से 29 जिलों में पहुंचा संक्रमण
बिहार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए कोरोना वायरस के संक्रमण दिन-प्रतिदिन नए क्षेत्रों में पांव पसार रहा है। राज्य के 38 जिलों में 29 जिलों में कोरोना के मरीज पाए गए हैं। कोरोना के मरीज अब बड़े शहरों के बाद छोटे शहरों में भी मिलने लगे हैं।
बिहार में कोरोना संक्रमण लगातार नए-नए क्षेत्रों में पांव पसरता जा रहा है। यह राज्य के लगभग 76 फीसदी हिस्से तक पहुंच गई है और राज्य के राज्य के 38 जिलों में से 29 जिलों में संक्रमितों की पहुंच हो गई है। राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 407 तक पहुंच गई है जबकि दो लोगों की मौत हो चुकी है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए कोरोना वायरस के संक्रमण दिन-प्रतिदिन नए क्षेत्रों में पांव पसार रहा है। राज्य के 38 जिलों में 29 जिलों में कोरोना के मरीज पाए गए हैं। कोरोना के मरीज अब बड़े शहरों के बाद छोटे शहरों में भी मिलने लगे हैं और इसने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
सरकारी स्तर पर एक तरफ जहां कोरोना की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में गुरुवार सुबह तक कोरोना मरीजों की संख्या 407 हो गई। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमित का पहला मरीज मुंगेर में पाया गया था, जहां आज की तारीख में सबसे अधिक 92 मरीज पाए गए हैं। इसके अलावे पटना में 42, नालंदा में 35, रोहतास में 34 और सीवान में 30, बक्सर में 40 मरीज पाए गए हैं।
इसके अलावे कैमूर और गोपालगंज में 18-18, बेगूसराय में 11, भोजपुर में 11, औरंगाबाद में 8, गया में 6, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और मधुबनी में 5-5, लखीसराय, अरवल, नवादा, सारण और जहानाबाद में 4-4, बांका में 3, वैशाली में 3, मधेपुरा में 2, दरभंगा में 5, सीतामढी में 6 और पूर्णिया, अररिया और शेखपुरा में एक-एक मामला सामने आया है।
राज्य में मुंगेर और वैशाली में एक-एक मरीज की मौत हो चुकी है। राज्य के लिए राहत की बात है कि अब तक 65 संक्रमित व्यक्ति इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं। इनमें सीवान के सबसे अधिक 22 लोग शामिल हैं। बिहार में अब तक 23,149 नमूनों की जांच की जा चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह भी स्वीकार करते हुए कहा, "पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी है। उसकी वजह जो सामने आयी है कि पहले जो संक्रमित पाये गये थे, उनके 'क्लोज कॉन्टैक्ट', 'सोशल कॉन्टैक्ट' की ट्रेसिंग की गयी और सबके नमूने कर उनकी जांच की गयी, जिसके आधार पर कुछ संक्रमित पाए जा रहे हैं।"
उन्होंने बताया कि राज्य के तीन अस्पतालों पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, गया के अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल और भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय को कोविड अस्पताल के रूप में चिन्हित किया गया है। विभिन्न जिलों में कोविड केयर सेंटर के रूप में भी आइसोलेशन वार्ड की संख्या बढ़ायी गयी है। राज्य के विभिन्न जिलों में 303 क्वारंटीन सेंटर के रूप में चिन्हित किये गये हैं, जिसमें होटल सहित अन्य स्थल भी शामिल हैं।
इधर, स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही संस्था स्वस्थ भारत न्यास के चेयरमेन आशुतोष सिंह कहते हैं कि सरकार को कोविड मरीजों के उपचार की बेहतर व्यवस्था की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों में तार्किक क्षमता अधिक है, जिससे वे सही कार्यों को भी तर्क से गलत साबित कर देते हैं। यही कारण है कि अभी भी यहां के लोग सोशल डिस्टेंसिंग को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावे शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में भी कमी है, जिससे मरीजों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि बिहार के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य राज्यों के लोगों से अधिक है तथा बिहार के लोगों के रसोई घर पौष्टिक होता है, जिस कारण लोग इलाज के बाद ठीक भी हो रहे हैं।
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