सड़क के बाद अब रेल ट्रैक जाम करेंगे किसान, 13 मार्च को मजदूरों के साथ निजीकरण के खिलाफ करेंगे प्रदर्शन
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर किसानों ने आज केएमपी एक्सप्रेसवे की नाकेबंदी करते हुए 5 घंटे के लिए उसे पूरी तरह ब्लॉक कर दिया। इस चक्का जाम का पास के कई हाईवे पर भी व्यापक असर दिखा। भारी संख्या में गाड़ियां और लोग फंसे रहे।
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर शनिवार को केएमपी एक्सप्रेसवे और कई हाइवे की सफल नाकेबंदी के बाद किसानों ने अब कॉरपोरेटाइजेशन और निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने का ऐलान किया है, जिसमें 13 मार्च को रेल ट्रैक जाम किया जाएगा।
किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने शनिवार को बताया कि कॉरपोरेटाइजेशन और निजीकरण के खिलाफ 13 मार्च को राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा, जिसमें किसान और मजदूर रेलवे लाइनों को जाम करेंगे और वहीं पर आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के प्रवक्ता दर्शन पाल ने कहा, "यह किसानों के चल रहे विरोध को तेज करने के लिए हमारा अगला कदम है।"
दर्शन पाल आज कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर मौजूद थे, जिसे शनिवार को हजारों किसानों द्वारा तीन नए कृषि कानून के विरोध में ब्लॉक किया गया था। किसा न नेता दर्शन पाल ने इंटरनेट शटडॉउन, सरकार की सख्ती इत्यादि मुद्दे पर कहा, "हम क्या कर सकते हैं अगर ऐसी चीजें हमारे साथ होती हैं। हम केवल इस बाबत एहतियात बरत सकते हैं कि कोई विरोधी तत्व हमारे आंदोलन में घुसपैठ नहीं करे।"
बता दें कि केंद्र के विवादित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के 100वें दिन आज किसानों ने 135 किमी लंबे केएमपी एक्सप्रेसवे को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक अवरुद्ध रखा था। एक्सप्रेसवे के अलावा इससे जुड़ने वाले कई हाइवे को भी किसानों ने अवरुद्ध कर दिया था। किसानों की इस बंदी का व्यापक असर देखा गया। शांतिपूर्वक 5 घंटे प्रदर्शन के बाद किसान एक्सप्रेसवे और तमाम हाइवे से हट गए।
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