यूपी में महंगी बिजली के बाद अब राशन पर डाका डालने की तैयारी, बिल नहीं भरा तो नहीं मिलेगा किसी योजना का फायदा
यूपी के जौनपुर के डीएम ने कड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि अगर कोई शख्स अपना बिजली का बिल नहीं भरा है तो सब्सिडी वाले राशन वितरण समेत सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए उसके आवदेन पर विचार नहीं किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों के जिला अधिकारियों (डीएम) ने ऐसा कठोर आदेश दिया है, जो स्थानीय निवासियों के मूल नागरिक अधिकारों का हनन करते हैं। जौनपुर के डीएम ने बुधवार को कड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि अगर कोई शख्स अपना बिजली का बिल नहीं भरा है तो सब्सिडी वाले राशन वितरण समेत सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए उसके आवदेन पर विचार नहीं किया जाएगा।
डीएम अरविंद मलप्पा बंगारी के पत्र (ईएफ 2162 तारीख 18/09/19) में सभी जिला प्रशासन के सभी प्रमुख अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इसी एक अक्टूबर से अगर कोई शख्स अपनी बिजली बिल की हालिया भुगतान पर्ची नहीं दिखा पाए तो उसे राज्य सरकार की कोई सहायता ना दी जाए।
आदेश के अनुसार, उत्तर प्रदेश विद्युत निगम को भारी राजकोषीय नुकसान के कारण राज्य में बिजली संकट और बिगड़ गई है। इस नुकसान के पीछे एक बड़ा कारण बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं द्वारा बिजली का बिल जमा ना करना है।
डीएम के पत्र के अनुसार, “इसके बाद सरकार ने निर्णय लिया कि जन्म प्रमाण पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेजों को आगे बढ़ाने या कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल जमा करना बहुत जरूरी हो गया है।”
डीएम का आदेश पूर्वी उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। यहां गोरखपुर समेत कई अन्य जिलों ने बकाया बिजली बिल को जल्दी वसूलने के लिए ऐसे आदेश जारी कर दिए हैं। नागरिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने से रोकना एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है क्योंकि इससे नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
हालांकि जौनपुर के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) गौरव वर्मा ने कहा कि नए आदेश का उद्देश्य हाल के वर्षो में भारी नुकसान में गए उत्तर प्रदेश विद्युत निगम की आर्थिक स्थिति सुधारना है। वर्मा ने उम्मीद जताई कि लोग इस नई योजना को ईमानदारी से स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा, “गोरखपुर जैसे अन्य जिलों में ऐसे आदेश जारी किए गए हैं। लोग अब अपने बिजली बिलों का भुगतान कर रहे हैं, बकाया पहले से कम हुआ है।” सूत्रों ने कहा कि पिछले सोमवार उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी डीएम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सलाह दी थी कि बकाया वसूलने के लिए नए कदम उठाए जाने चाहिए। विद्युत निगम के शीर्ष अधिकारी और इंजीनियर पिछले पांच साल से बार-बार यह कह रहे हैं कि सरकार ने अगर जनता से बकाया के भुगतान के लिए कड़े कदम नहीं उठाए तो बिजली विभाग को बहुत ज्यादा नुकसान होगा।
सूत्रों ने कहा कि विद्युत विभाग में बसूली में लगभग 30 प्रतिशत नुकसान के कारण आर्थिक संकट पैदा हो गया है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह ने कहा कि बकाया भुगतान होना चाहिए लेकिन सरकार जनता से उनके कल्याणकारी अधिकारों से वंचित नहीं रख सकती।
सिंह ने कहा, “उनका क्या जिनका ना घर है और ना ही बिजली कनेक्शन। इसके अलावा, सरकार अगर जन्म प्रमाणपत्र जारी करने या राशन देने के लिए भी बिजली बिल के भुगतान की पर्ची मांगेगी तो यह समाजवादी राज्य की प्रसांगिकता पर बड़ा सवाल पैदा करेगा।”
समाजवादी पार्टी के नेता के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विपक्ष के नेता राई का पहाड़ बना रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य राज्य में बिजली आपूर्ति बेहतर करना है और इसलिए बकाया बिजली बिल वसूलने के लिए यह योजना लाई गई है।
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