अडानी पर अमेरिका में बड़ा आरोप लगने के बाद कांग्रेस का BJP पर हमला, कहा- लालची और सत्ता के भूखे नेताओं ने...
जयराम रमेश ने कहा कि तथ्य यह है कि अडानी की उचित जांच करने के लिए विदेशी अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया गया है, इससे पता चलता है कि कैसे भारतीय संस्थानों पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है, और कैसे लालची और सत्ता के भूखे नेताओं ने दशकों के संस्थागत विकास को बर्बाद कर दिया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाना उस मांग को सही ठहराता है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जनवरी 2023 से विभिन्न मोदानी घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) जांच के लिए कर रही है। कांग्रेस ने हम अडानी के हैं कौन (HAHK) श्रृंखला में इन घोटालों के विभिन्न पहलुओं और प्रधानमंत्री और उनके पसंदीदा पूंजीपति के बीच के घनिष्ठ संबंधों को उजागर करते हुए 100 सवाल पूछे थे। इन सवालों के जवाब आज तक नहीं दिए गए हैं।"
उन्होंने कहा कि अब न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम S अडानी, सागर R अडानी और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ लगाए गए गंभीर आरोप से अडानी की आपराधिक गतिविधियों के बारे में और अधिक चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं। इसमें कहा गया है कि उन्होंने 2020 और 2024 के बीच भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (2,100 करोड़ रुपए) से अधिक की रिश्वत दी। रिश्वत का भुगतान “भारत सरकार के सोलर पावर प्लांट्स के प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए किया गया था, जिससे टैक्स के बाद $2 बिलियन (16,800 करोड़ रुपए) से अधिक मुनाफा होने का अनुमान था।” इसमें आरोप लगाया गया है कि "कई मौकों पर, गौतम S अडानी ने रिश्वत की स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाक़ात की" और इसका इलेक्ट्रॉनिक और सेलुलर फोन सबूत होने का दावा किया गया है।"
उन्होंने कहा कि ये सब प्रधानमंत्री के स्पष्ट संरक्षण और कुछ नहीं होगा वाली सोच के साथ की गई धोखाधड़ी और अपराधों के एक लंबे रिकॉर्ड के अनुरूप है। तथ्य यह है कि अडानी की उचित जांच करने के लिए विदेशी अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया गया है, इससे पता चलता है कि कैसे भारतीय संस्थानों पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है, और कैसे लालची और सत्ता के भूखे नेताओं ने दशकों के संस्थागत विकास को बर्बाद कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इस ख़ुलासे के बाद SEBI की नाकामी भी एक बार फ़िर से सामने आती है, जो अडानी ग्रुप द्वारा प्रतिभूतियों और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रहा है और ग्रुप को उसके निवेश के स्रोत, शेल कंपनियों, आदि के लिए ज़िम्मेदार ठहराने में पूरी तरह से विफल रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि आगे का सही रास्ता यही है कि अडानी महाघोटाले में प्रतिभूति कानून के उल्लंघनों की जांच को पूरा करने के लिए एक नए और विश्वसनीय SEBI प्रमुख को नियुक्त किया जाए, और इसकी पूरी जांच के लिए तुरंत एक JPC का गठन किया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस लगातार अडानी ग्रुप के लेन-देन की जांच के लिए JPC गठन की मांग करती रही है। क्योंकि इनके लेन-देन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में एकाधिकार बढ़ रहा है और साथ ही, हमारे पड़ोस में विदेश नीति के लिए विशेष रूप से बड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं।
गौरतलब है कि अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर अमेरिका में अपने निवेशकों को धोखा देने के आरोप लगे हैं। अडानी पर अमेरिका में अपनी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने के लिए 265 मिलियन डॉलर या करीब 2236 करोड़ रुपये की रिश्वत देने और इसे छिपाने का आरोप लगा है। यह पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा है।
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